Ranchi: पुलिस महकमे में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. मानसिक और पारिवारिक तनाव के कारण पुलिसकर्मी आत्महत्या कर रहे है. राज्य पुलिस के वरीय अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं कि पुलिस टीम को तनाव से मुक्त रखने का हर संभव प्रयास किया जाये. लेकिन हर माह किसी ना किसी जिले में पुलिसकर्मियों के आत्महत्या की घटना सामने आ रही है. बीते 8 नवंबर को पाकुड़ में सब इंस्पेक्टर रानू कुमार ने अपने घर के कमरे में बंद होकर फांसी लगा ली थी. इससे पहले बीते 29 अक्टूबर को गिरिडीह में एक जवान ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. यह पुलिस के द्वारा आत्महत्या करने का पहला मामला नहीं है. बीते एक वर्ष के दौरान 10 से अधिक पुलिसवालों में आत्महत्या कर ली है.
मानसिक व पारिवारिक समस्याएं है कारण
पिछले एक साल के दौरान झारखंड में एक के बाद एक कई पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या कर ली है. पुलिसकर्मियों द्वारा की गयी आत्महत्या के आंकड़ों पर गौर करें तो इसकी मुख्य वजह, पारिवारिक विवाद, मानसिक तनाव और प्रेम प्रसंग को माना जा सकता है. क्योंकि कई ऐसे मामले सामने आये, जिनमें काम के दबाव और प्रेम में असफल होने की बात सामने आयी है.
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समाधान के लिए चला अभियान
झारखंड पुलिस ने 60 दिनों तक ‘अभियान सम्मान’ चलाया. डीजीपी एमवी राव के आदेश पर राज्यभर के सिपाही, हवलदार व चतुर्थवर्गीय पुलिसकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए ‘अभियान सम्मान’ चलाया गया. डीजीपी के आदेश के मुताबिक, कोविड 19 ड्यूटी में झारखंड पुलिस का काम काफी सराहनीय रहा. ऐसे में पुलिसकर्मियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील होकर उसे सुलझाने की जरूरत है. अभियान छह अलग-अलग चरणों में 20 अगस्त तक चला था.
आठ घंटे काम और सप्ताह में छह दिनों की ड्यूटी की बात हवा-हवाई
सिपाही और हवलदार स्तर के पुलिसकर्मियों के लिए रोजाना आठ घंटे काम और सप्ताह में छह दिनों की ड्यूटी वाली बात हवा-हवाई साबित हो गयी. पूर्व डीजीपी डीके पांडेय के इस आदेश के कई महीने बीत गये, लेकिन इस आदेश का पालन ग्राउंड स्तर पर नहीं दिखा. इसकी सबसे बड़ी वजह है पुलिसकर्मियों की कमी. जब एक शिफ्ट में ही पुलिसकर्मी कम पड़ रहे हैं तो तीन शिफ्टों में ड्यूटी कर इस आदेश का पालन करवाया जाना कैसे संभव है. वहीं तत्कालीन डीजीपी के इस आदेश के अनुपालन को लेकर सवाल करने पर अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं.
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जानिए कितने पुलिसकर्मी ने कि आत्महत्या
- 11 मार्च: दुमका पुलिस लाइन में अरुण कुमार सिंह नाम के सिपाही ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
- 19 अप्रैल: जमशेदपुर के गुड़ाबांदा थाने के एसआई ने निलंबन के डर से खुद को एके-47 से मारी गोली
- 10 अगस्त : जमशेदपुर पुलिस लाइन में एएसआइ तरुण पाण्डेय ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर लिया. तरुण पांडेय ने अपने सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली थी.
- 18 अक्टूबर: गिरिडीह जिले के नगर थाने में पदस्थापित में सहायक पुलिस निरीक्षक विजय तिर्की ने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या कर लिया था.
- 29 अक्टूबर: गिरिडीह के पचम्बा थाना में पोस्टेड 35 वर्षीय जवान राजीव एक्का ने गुरुवार की सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था.
- 8 नवंबर: पाकुड़ शहर के थानापाड़ा स्थित एक मकान में सब इंस्पेक्टर रानू कुमार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया. रानू का शव फंदे से लटकता हुआ पुलिस ने बरामद किया था.
- 12 सितबर 2019: पटना के गर्दनीबाग थाना क्षेत्र में झारखंड पुलिस के दो सिपाहियों ने को ट्रेन के आगे छलांग लगा दी.महिला सिपाही नंदिनी कुमारी की मौके पर ही मौत हो गयी. पुरुष सिपाही सरोज कुमार को गंभीर हालत में पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था.दोनों देवघर जिला बल में तैनात थे.
- 25 अक्टूबर 2019: सराइकेला जिले के दुगनी स्थित सीआरपीएफ 196 बटालियन के कैंप परिसर में सीआरपीएफ जवान मोहम्मद सैफुद्दीन अहमद आत्महत्या कर ली, जवान का शव पेड़ से लटका मिला था.
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