Dumka: जामा के जरपुरा गांव में बुधवार की रात गोदाम से लगभग एक करोड़ रुपये की विदेशी शराब पकड़ी गई थी. इस मामले में उत्पाद विभाग ने शराब कारोबारी बिहार के शेखपुरा निवासी मुस्तफा खान के अलावा गोदाम मालिक अमर मंडल के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है. उत्पाद अवर निरीक्षक शिव सागर को इस केस का अनुसंधानकर्ता बनाया गया है. इस बीच अमर मंडल का नाम सामने आते ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और झामुमो विधायक सीता सोरेन आमने-सामने हो गये हैं. निशिकांत दुबे ने अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘इ अमर मंडल राज परिवार का करीबी तो नहीं है, वैसे जामा विधायक बहन सीता सोरेन जी इसपर जरूर बोलेंगी. वैसे अब दुमका जिला प्रशासन अचानक ईमानदार हो गया है. भाभी जी के अनुसार’.
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वहीं सीता सोरेन ने सीधे तौर पर अमर मंडल को भाजपा नेता करार देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में संज्ञान लेने की अपील की है. विधायक सीता सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘‘मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत कोल स्टॉक यार्ड के नाम पर अवैध दारू का गोरखधंधा भाजपा नेता अमर मंडल के द्वारा अपने ही घर में लंबे समय से किया जा रहा है. जिससे राजस्व का नुकसान हो रहा है और साथ ही जान माल की भी हानि हो सकती है.’’ हालांकि दोनों को छोड़कर इस मुद्दे पर भाजपा, झामुमो व कांग्रेस के नेताओं ने चुप्पी साध ली है.
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मुस्तफा का बयान, अकेले ही कर रहा था धंधा
बताया जा रहा है कि अवैध शराब कारोबार का संचालन करनेवाला मुस्तफा खान अपने सहयोगियों को बचा रहा है. उत्पाद अधीक्षक आशुतोष कुमार ने बताया कि गुरुवार की रात को ही मुस्तफा को जेल भेज दिया गया. उसने स्वीकार किया कि शराब का अवैध धंधा वह अकेले ही कर रहा था. उसने अमर मंडल से ही गोदाम किराए पर लिया था. लेकिन जब्त ट्रक के मामले में ज्यादा कुछ नहीं बता सका. अधीक्षक ने कहा कि लाखों की शराब का अवैध कारोबार करने वाला अकेला व्यक्ति नहीं हो सकता है. इसमें और भी लोग अवश्य शामिल हैं. अब उन तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने बताया कि वाहन मालिक के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है.
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मुस्तफा को 11 हजार रुपये में दिया था गोदाम
उत्पाद विभाग ने जिस गोदाम से शराब बरामद की है वह जमीन अमर मंडल ने दानपत्र में ली है. एसपीटी एक्ट के प्रावधानों के तहत जमाबंदी जमीन पर बने गोदाम या परिसर को दूसरे को व्यवसायिक कार्य के लिए किराए पर नहीं दिया जा सकता है. इसके बाद भी मुस्तफा खान को किराए पर दे दिया गया. इसके लिए वह प्रतिमाह 11 हजार रुपये प्रतिमाह किराया लेता था. सवाल है कि जब एसपीटी एक्ट में दूसरे को किराए पर देने का कोई प्रावधान ही नहीं है तो फिर कैसे भाड़े पर दे दिया गया. अभी तक की जांच में यह बात सामने आई है कि मुस्तफा खान ने जो एकरारनामा का कागज दिखाया है, वह पूरी तरह से विधि सम्मत नहीं है. इसीलिए विभाग इसकी गहराई से जांच करा रहा है. उत्पाद अधीक्षक का कहना है कि जल्द ही इस मामले में पूरी जांच कर रिपोर्ट न्यायालय में सुपुर्द कर दी जाएगी. जब्ती स्थल से कई अन्य महत्वपूर्ण सुराग भी हाथ लगा है. जिससे आने वाले समय में इस गोरखधंधे में लिप्त लोगों के नाम सामने आएंगे.
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