Ranchi: सभी जिलों में चल रही सरकारी स्कूलों सहित प्रखंड एवं जिला कार्यालयों की स्थिति को लेकर शिक्षा विभाग की राज्यस्तरीय टीम हर माह निरीक्षण कर रही है. निरीक्षण के दौरान कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. स्कूलों में पुस्तकालय की स्थिति काफी खराब है. झानसेतु कार्यक्रम के लिए स्कूलों में जो कार्यपुस्तिका उपलब्ध करायी गयी है, उसका सीमित ही उपयोग किया जा रहा है. कई स्कूलों में बने समेकित गणित एवं विज्ञान लैब का भी शिक्षकों द्वारा उपयोग नहीं किया जा रहा है. इन्हीं सब बातों को लेकर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद निदेशक किरण कुमार पासी ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिखा है. लिखे पत्र में निदेशक ने स्कूलों में कमी वाले क्षेत्र में विशेष कार्य करने पर जोर देने को कहा है.
गणित और लैब का उपयोग नहीं
525 उच्च प्राथमिक स्कूलों में समेकित गणित एवं विज्ञान लैब की स्थापना की गई है. परंतु इसका भी शिक्षकों के द्वारा उपयोग शुरू नहीं किया गया है. निदेशक ने कहा है कि लैब पर सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के अलावा स्कूलों को एक-एक पैन ड्राइव और हस्तपुस्तिका पहले ही उपलब्ध करायी गई है.
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पुस्तकालय की स्थिति काफी दयनीय
स्कूलों में पुस्तकालय की स्थिति काफी दयनीय है. इसका उपयोग नहीं हो रहा है. राज्य से उपलब्ध की जा रही पुस्तकें भी स्कूलों में उपलब्ध नहीं है. अगर दी गयी है, तो वह अभी भी पैकेट में हैं. हालांकि कुछ स्कूलों के पुस्तकालयों में किए गए कार्यों की भी प्रशंसा की गई है.
बुनियादी शिक्षा सहित ज्ञान सेतू के लिए बांटी गयी कार्यपुस्तिका अभी भी पैकेटों में
बुनियादी शिक्षा और संख्या ज्ञान के लिए स्कूलों में शिक्षक हस्तपुस्तिका एवं छात्र कार्यपुस्तिका दी गयी है. लेकिन स्थिति यह है कि कई स्कूलों में यह अभी भी पैकेटों में ही रखी हुई है. वहीं, कई स्कूलों में इसे बांटा तो गया, परंतु शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा सीमित उपयोग ही हो रहा है. यह चिंताजनक है. इसी तरह ज्ञानसेतु कार्यक्रम के लिए कक्षा 4 से 8 तक के लिए कार्यपुस्तिका बांटी गयी है. लेकिन इसका भी स्कूलों द्वारा सीमित उपयोग हो रहा है. यह एक गंभीर विषय है.
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मासिक पत्रिका ‘पंख’ का भी वितरण नहीं
मासिक पत्रिका ‘पंख’ का वितरण भी स्कूलों को नहीं किया जा रहा है. पत्रिका या तो जिला स्तर अथवा प्रखंड स्तर पर ही रखी हुई है. स्कूलों में अगर इसे उपलब्ध कराया गया है तो भी बच्चों को नहीं दी जा रही है. यह चिंतनीय है. निदेशक ने पत्रिका मिलने की तिथि से एक हफ्ते के अंदर ही स्कूलों को देने के निर्देश दिए हैं.