Ranchi: कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों ने अपने घरों में ही रहना मुनासिब समझा. घर में रहने के दौरान अधिकांश लोगों ने टीवी, लैपटॉप, मोबाइल और किताबों को पढ़कर अपना समय बिताया. दिनचर्या में बदलाव के कारण आंखों में समस्या हो रही है. नेत्र रोग विशेषज्ञ के अनुसार ऑनलाइन क्लास के कारण हर बच्चा दिन में औसत 4 से 5 घंटा स्क्रीन पर बिता रहे हैं. ऐसे में मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल आंखों को खराब करने का प्रमुख कारण बन रहा है.
कोरोना के बाद लोगों का स्क्रीन टाइम 40 गुणा बढ़ा
रिम्स नेत्र रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राहुल प्रसाद ने कहा कि आंखों में समस्या कोरोना के दौरान लोगों को प्रभावित कर रही है. लाइफस्टाइल में बदलाव और जरूरत से ज्यादा स्क्रीन के इस्तेमाल से आंखों की रोशनी कम होने की समस्या बन रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना से पहले की तुलना में कोरोना के बाद लोगों का स्क्रीन टाइम 40 गुणा से ज्यादा बढ़ गया है. लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से परेशानी महसूस कर रहे लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं. ओपीडी में आए रोगियों में 30 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में विजन कम पाया गया. जिनमें से कई लोगों को पावर चश्मा लगाने की सलाह दी गई.
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ओपीडी में आने वाले 5 फीसदी बच्चों में विजन कम होने की शिकायत
के अनुसार ओपीडी में आने वाले लोगों में बच्चे भी शामिल है. ओपीडी में आने वाले बच्चों में करीब 5 प्रतिशत बच्चे विजन लॉस के शिकार हो रहे हैं. कोरोना के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन के कारण बच्चों को दिन में औसत 4 से 5 घंटा स्क्रीन के सामने बीताना पड़ रहा है. मोबाइल और लैपटॉप आंख खराब करने का प्रमुख कारण बन रहे हैं. सिर दर्द की समस्या जो कि व्यस्कों में होती थी, लेकिन अब 10 से 16 साल के बच्चों में भी यह समस्या बढ़ गई है. बच्चों को स्क्रीन टाइम कम करने में परेशानी हो रही है, लेकिन आंखों को बचाने के लिए मोबाइल की छोटी स्क्रीन के बदले टीवी का बड़े स्क्रीन से कनेक्ट करें और उसकी दूरी बढ़ा दें.
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