NewDelhi : खबर है कि देश भर के 25 उच्च न्यायालयों में से 11 में, न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या के अनुपात में कम से कम 40 प्रतिशत खाली पड़े हुए है. जान लें कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए, तीन सदस्यीय कॉलेजियम में सीजेआई रमना, जस्टिस रोहिंटन नरीमन और यूयू ललित शामिल हैं. इन तीनों के अलावा, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए पांच सदस्यीय कॉलेजियम में जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं.
कलकत्ता उच्च न्यायालय में 72 न्यायाधीश के मुकाबले 31 न्यायाधीश हैं
कानून और न्याय मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो एक जून 2021 तक पटना उच्च न्यायालय में 62 फीसदी पद खाली पड़े हैं. 53 न्यायाधीशों की जगह सिर्फ 20 न्यायाधीश ही अभी पटना हाईकोर्ट में हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय 56 प्रतिशत से ज्यादा खाली पदों के साथ दूसरे स्थान पर है. इसमें 72 न्यायाधीश स्वीकृत हैं. इसके मुकाबले 31 न्यायाधीश हैं. मध्य प्रदेश में 53 न्यायाधीश की स्वीकृत है और यहां केवल 24 न्यायाधीश ही हैं. राजस्थान उच्च न्यायालय में 50 न्यायाधीशों की स्वीकृत है और यहां केवल 23 न्यायाधीश ही हैं. इस तरह दोनों जगह लगभग 54 फीसदी पद खाली पड़े हैं.
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गुजरात, उड़ीसा, पंजाब और हरियाणा में 44 फीसदी की कमी
आंध्र प्रदेश की बात करें तो यहां 37 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत है. लेकिन यहां 48 प्रतिशत की कमी है. यहां केवल 19 न्यायाधीश हैं. दिल्ली में 60 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं, यहां भी 48 फीसदी की कमी है. यहां केवल 31 न्यायाधीश हैं. अन्य उच्च न्यायालयों में, जिन्होंने 40 प्रतिशत से अधिक रिक्तियों की सूचना दी है, उनमें गुजरात, उड़ीसा, पंजाब और हरियाणा में 44 फीसदी, तेलंगाना में 41 फीसदी और झारखंड में 40 फीसदी की कमी हैं.
कुल मिलाकर 25 उच्च न्यायालयों में 1,080 न्यायाधीशों की स्वीकृत है. इनमें 430 पद अभी भरे जाने बाकी हैं. केवल तीन उच्च न्यायालयों मणिपुर, मेघालय और सिक्किम, जिनमें क्रमशः 5, 4 और 3 न्यायाधीशों की स्वीकृत है और यहां उतने ही न्यायाधीश हैं.
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सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल सात पद खाली हैं
सुप्रीम कोर्ट में जहां फिलहाल सात पद खाली हैं, वहीं जस्टिस रोहिंटन नरीमन 12 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण के 24 अप्रैल को पदभार ग्रहण करने के बाद, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए केवल सात सिफारिशें की गयी हैं. सभी न्यायिक अधिकारी शामिल हैं. चार मई को, कॉलेजियम ने एक न्यायिक अधिकारी को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और छह न्यायिक अधिकारियों को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की.
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महामारी के कारण पिछले साल रिकॉर्ड स्तर पर मामले बढ़े
सरकार ने पिछले महीने केवल एक नियुक्ति की है. अधिवक्ता विकास बहल को 21 मई को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया. भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के कार्यकाल के दौरान, कॉलेजियम को नियुक्तियों पर गतिरोध का सामना करना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति के लिए एक भी सिफारिश करने में विफल रहा. अप्रैल में नये कॉलेजियम के गठन के बाद इसमें बदलाव की उम्मीद थी.
महामारी के कारण अदालतों तक पहुंच प्रतिबंधित होने से पिछले साल रिकॉर्ड स्तर पर मामले बढ़े. न्यायिक डेटा की निगरानी करने वाले एक सरकारी मंच, नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार, 25 उच्च न्यायालयों में मामलों का बैकलॉग 2018-2019 में 5.29 प्रतिशत की तुलना में 2019-2020 में चौगुना होकर 20.4 प्रतिशत हो गया.