NewDelhi : प्रशांत किशोर का सवाल है कि क्या 2024 में भाजपा को हराना संभव है? इसका जवाब में वे कहते हैं कि इसका जोरदार जवाब हां है. आगे कहते हैं कि लेकिन क्या यह नेताओं और पार्टियों की मौजूदा हालात के साथ संभव है? शायद नहीं. बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार को कहा कि वह एक विपक्षी मोर्चा बनाने में मदद करना चाहते हैं जो 2024 में भाजपा को हरा सके और यह पूरी तरह से संभव था, भले ही अगले महीने के राज्य विधानसभा चुनावों के परिणाम जिसे आम चुनावों के लिए एक तरह के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है, प्रतिकूल आयें.
प्रशांत ने विभिन्न दलों में थोड़ा-सा सामंजस्य और एक नयी राष्ट्रीय पार्टी के बजाय थोड़ा बदलाव पर जोर देते हुए एनडीटीवी से एक इंटरव्यू में कहा, यदि आप बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र, तमिलनाडु और केरल की लगभग 200 लोकसभा सीटों पर नजर डालते हैं, तो पार्टी की लोकप्रियता के चरम पर होने के हालात में भाजपा यहां से 50-विषम सीटें जीतने में सफल रही है. बाकी बची 350 सीटें, जहां भाजपा किसी के लिए कुछ नहीं छोड़ रही है.
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विपक्ष 250 से 260 सीटों तक पहुंच सकता है
प्रशांत किशोर की मानें तो अगर कांग्रेस या तृणमूल या कोई अन्य पार्टी या इन पार्टियों का आपसी तालमेल खुद को फिर से संगठित करता है, और अपने संसाधनों और रणनीति को फिर से शुरू करता है, और कहता है कि वे 200 में से लगभग 100 सीटें हासिल करते हैं, तो विपक्ष लोकसभा में अपनी वर्तमान संख्या के साथ 250-260 सीटों तक पहुंच सकता है.
इस क्रम में प्रशांत कहते हैं कि इसी तरह उत्तर और पश्चिम में 100 और सीटें जीतकर भाजपा को हराना संभव है. प्रशांत किशोर ने अपने अंतिम लक्ष्य का खुलासा करते हुए कहा, मैं एक विपक्षी मोर्चा बनाने में मदद करना चाहता हूं जो 2024 में एक मजबूत लड़ाई दे सके.
विपक्ष को बहुत कुछ करना होगा
प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा ने हिंदुत्व, अति-राष्ट्रवाद और लोककल्याण को मिलाकर एक बहुत ही “दुर्जेय कहानी पेश की है, और विपक्षी दलों को इनमें से कम से कम दो मुद्दों पर उन्हें पछाड़ना होगा और साथ ही साथ एक तथाकथित महागठबंधन में एकजुट होने के अलावा और भी बहुत कुछ करना होगा.
प्रशांत किशोर के अनुसार बिहार में 2015 के बाद से एक भी महागठबंधन’ सफल नहीं हुआ है. केवल पार्टियों और नेताओं का एक साथ आना ही काफी नहीं होगा. कहा कि भाजपा को हराने के लिएभावात्मक और एक सुसंगत संगठन चाहिए.