Sunil Kumar
Latehar : सीसीएल के रोड पर प्राइवेट ट्रांसपोर्टर ढुलाई कर रहे हैं. यह हो रहा है आम्रपाली से शिवपुर कोल साइडिंग की सड़क पर. आम्रपाली से शिवपुर साइडिंग तक कोयला ढुलाई का टेंडर लेने वाली मेसर्स आरकेटीसीएल- बीएलएपीपीएल की ज्वाइंट वेंचर कंपनी सरकारी फंड से निर्मित सड़क से प्राइवेट कंपनियों से कोयला ढुलवा रही है. आरोप है कि इसमें सीसीएल व जिला के आलाधिकारियों की मिलीभगत है. इस पर सीसीएल के अधिकारियों द्वारा कोई रोक नहीं लगाई जा रही है. सूत्रों ने बताया कि इन दोनों कंपनियों ने अन्य परिवहन कंपनियों को अनधिकृत रूप से अघोषित एनओसी दे रखा है. सूत्रों का दावा है कि मेसर्स आरकेटीसीएल ने मेसर्स ओमेक्स मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड को सीसीएल की रोड पर परिवहन की खुली छूट दे दी है. सूत्रों का यह भी दावा है कि मेसर्स ओमेक्स मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड आरकेटीसीएल की सिस्टर कंसर्न है, जिसका 48.77% शेयर आरकेटीसीएल के पास है. ज्वाइंट वेंचर कंपनी अपनी अन्य कंपनियों से सरकारी खर्चे पर बनी सड़क पर बड़े ही आसानी से कोयले की ढुलाई करवा रही है, जबकि रख-रखाव का खर्च सीसीएल कर रही है. आम्रपाली कोल स्टॉकयार्ड से शिवपुर रेलवे साइडिंग तक कोयला परिवहन का अवैध खेल वर्षों से जारी है. जिसे ना तो स्थानीय प्रशासन रोक रही है न तो सीसीएल द्वारा इसपर रोक लगाई जा रही है. सीसीएल और ज्वाइंट वेंचर कंपनी की मिलीभगत से हिन्ड्रेन्स बता-बता कर कोयले की चोरी एक सुनियोजित तरीके से करायी जा रही है. गलत आंकड़ा पेश कर बताया जा रहा है कि कभी कोयले की अनुपलब्धता है तो कभी हिन्ड्रेन्स है.
पिछले वर्ष 1 मार्च से 31 मार्च तक प्रतिदिन 70000 टन कोयला परिवहन का टारगेट तो सीसीएल के द्वारा तय किया गया था. आश्चर्य है कि महज 5 दिनों को छोड़कर किसी भी दिन इस ज्वाइंट वेंचर कंपनी ने टारगेट का आधा भी कोयले की ढुलाई नहीं की. आंकड़ों पर गौर करें तो 19 मार्च 22 को 70000 टन की ढुलाई के टारगेट के बदले मात्र 2644 टन कोयले की ढुलाई की गयी है. जबकि 18 मार्च को 11308 टन एवं 20 मार्च को 15285 टन कोयले का परिवहन किया गया है, फिर भी सीसीएल के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. ना तो इस कंपनी पर टर्मिनेशन जैसी कोई कार्रवाई की जा रही है और न तो किसी प्रकार का कोई नोटिस जारी किया गया है. हालांकि इसकी शिकायत लातेहार जिला के कई संगठनों ने सीसीएल को लिखित रूप से की है, लेकिन कोयला माफियाओं की मिलीभगत के कारण सीसीएल इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है. मालूम हो कोयले के इस काले खेल में जिले के आला अधिकारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. वहीं सफेदपोशों की भी इन कंपनियों को कृपा प्राप्त है. (जारी)
इसे भी पढ़ें : लातेहार: झामुमो ने की खतियानी जोहार यात्रा की तैयारी की समीक्षा
इसे भी पढ़ें : गुम हुए मोबाइल ने युवती के सपने किया साकार, कैसे…पढ़िए इस रिपोर्ट में