Ranchi : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में ”स्वतंत्रता आंदोलन में झारखंड के आदिवासियों का योगदान” विषय पर व्याख्यान देते हुए आदिवासी इतिहास-संस्कृति के प्रसिद्ध विद्वान तथा डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण एवं शोध संस्थान के निदेशक रणेन्द्र कुमार ने कहा है कि स्वतंत्रता आंदोलन में 1767 से 1942 तक लगभग 175 वर्षों तक झारखंड के जनजातीय समाज ने महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए. उन्होंने कहा कि मानव विज्ञान की पुस्तकों पर आधारित अवधारणा गलत है कि आदिवासी जंगली, खानाबदोश और नासमझ थे. वे शुरू से पराक्रमी और योजनाबद्ध छापामार लड़ाई लड़ने वाले थे. मौर्य काल में लोहे का औजार, हथियार बनानेवाले सबसे पहले कारीगर यहां के असुर ही थे. उन्हीं के औजार और हाथियों वाली सेना की बदौलत मौर्य साम्राज्य का विस्तार दूर- दूर तक हुआ. कोल विद्रोह और चुहाड़ विद्रोह नाम देना उनके युद्ध कौशल को अपमानित करने का प्रयास था. मौके पर बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि झारखंड के शहीदों के बारे में कुछ अंश कृषि प्रसार के पाठ्यक्रम में शामिल हो, इस पर अकादमिक काउंसिल में विचार किया जाएगा.
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फूलो झानो के नेतृत्व में 1000 लड़ाकू महिलाओं की टुकड़ी थी
सन 1770-80 का पहाड़िया विद्रोह, 1920-21 का तमाड़ विद्रोह, 1855-56 का हूल विद्रोह, 1857 का सिदो-कान्हू और चांद-भैरव का विद्रोह, 1857 का उत्तरी छोटानागपुर का संथाल विद्रोह, 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में खूंटी में बिरसा मुंडा और हाथीराम मुंडा का विद्रोह तथा 1942 में कुड़ू, लोहरदगा में टाना भगतों का विद्रोह इस बात का गवाह है कि अंग्रेज शासक अजेय नहीं थे. हाथीराम मुंडा को तो जिंदा ही दफना दिया था अंग्रेज शासकों ने. फूलो झानो के नेतृत्व में 1000 लड़ाकू महिलाओं की टुकड़ी थी.
वीर बुधु भगत के घोड़े और तलवार में जादुई शक्ति थी
फरवरी 1832 में वीर बुधु भगत के परिवार के लगभग 200 सदस्यों को सिलगाईं, चान्हो में एक साथ गोलियों से भून दिया गया था. एक ही परिवार के इतने लोगों के एक साथ शहीद होने का दुनिया में और कोई उदाहरण नहीं है. बुधु भगत के तीनों बेटे उदय, हलधर और गिरधर तथा दो बेटियों रुनिया एवं झुनिया का कत्ल करने के बाद ही अंग्रेजी फौज बुधु भगत तक पहुंच पायी थी. तत्कालीन धारणा थी कि बुधु भगत के घोड़े और तलवार में जादुई शक्ति है, जिससे उन पर नियंत्रण पाना मुश्किल है. अंग्रेजों ने उन्हें उन्हीं की तलवार से काट दिया था.
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