New Delhi : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को तोक्यो में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से मुलाकात की. इस दौरान दोनों ने द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े विभिन्न पहलुओं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा की.
क्वाड की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक टोक्यो में
क्वाड की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए पोम्पिओ और जयशंकर तोक्यो में हैं. क्वाड चार देशों का समूह है. जिसमें अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. इसकी पहली मंत्रिस्तरीय बैठक 2019 में न्यूयॉर्क में हुई थी. विदेश मंत्री ने जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अपने समकक्षों से भी मुलाकात की.
जयशंकर ने ट्वीट कर दी जानकारी
जयशंकर ने ट्वीट किया कि विदेश मंत्री पोम्पिओ के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर अपनी टोक्यो यात्रा की शुरुआत की. कई क्षेत्रों में हमारी साझेदारी में प्रगति को देख खुश हूं. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए मिल कर काम करेंगे.
विदेश मंत्री ने सुगा के साथ अपनी मुलाकात की जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच विशेष साझेदारी के द्विपक्षीय और वैश्विक आयामों का उल्लेख किया.
Began my Tokyo visit with a bilateral meeting with @SecPompeo. Pleased to see the progress of our partnership in so many fields. Will work together for stability and prosperity in the Indo- Pacific. pic.twitter.com/isZMTNlHXe
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 6, 2020
उन्होंने कहा कि क्वाड के अन्य विदेश मंत्रियों के साथ जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के साथ मुलाकात की. हमारी विशेष साझेदारी के द्विपक्षीय और वैश्विक आयामों के बारे में बात की.
चीन के साथ सीमा पर भारत के हालिया तनाव के बाद जयशंकर और पोम्पिओ के बीच यह पहली मुलाकात होगी.
पता चला है कि जयशंकर और पोम्पिओ ने भारत के चारों ओर सुरक्षा परिदृश्य को विकसित करने सहित समग्र संबंधों पर विचार-विमर्श किया.
भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ा रहा है.
अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के लिए एक बड़ी भूमिका पर जोर दे रहा है. जिसे कई देशों द्वारा क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने के प्रयास के रूप में देखा जाता है.
क्वाड की मंगलवार को होने वाली दूसरी बैठक में भी चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए स्वतंत्र और मुक्त हिन्द-प्रशांत पहल पर जोर दिये जाने की उम्मीद है.