Ranchi : राज्य में पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे है. राज्य में जहां एक तरफ पुलिस जनता की रक्षा करने की बात कहती है, वहीं दूसरी ओर पुलिस कुछ मामले में बिना सही जांच किए निर्दोषों को जेल भेज रही है. राज्य में पुलिस के गलत अनुसंधान के कारण कई लोगों को निर्दोष होते हुए भी जेल जाना पड़ा है. राज्य में इस तरह के कई मामले सामने आये हैं. जिस वजह से पुलिस अपनी ही कार्यप्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में आ रही है.
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जानियें ऐसे मामले जिनमें निर्दोषों को भेजा गया जेल
बाजार में टहल रही युवती की हत्या के आरोप में पति जेल में
पलामू जिले के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र के तरीडीह गांव में नौ सितंबर 2021 को जिस खुशबुन निशा को मृत समझकर परिजनों ने दफना दिया था. वह बीते 12 सितंबर की रात छतरपुर बाजार में पुत्र के साथ टहलती मिली. वहीं खुशबुन की हत्या के आरोप में पुलिस ने उसके पति को जेल भेज दिया है. पुलिस की जांच पर तो यहां सवाल उठ ही रहे हैं, यह भी प्रश्न खड़ा हो गया है कि जिस महिला को खुशबुन समझ दफनाया गया, वह कौन थी. मसले को सुलझाने के लिए पुलिस ने कब्र से महिला का शव निकाल कर डीएनए जांच कराने का निर्णय लिया है.
पुलिस ने हथियार प्लांट कर झूठा केस बनाकर भेजा जेल
बीते दो जून को पतरातू पुलिस ने बालू कारोबारी राजेश राम को मोरहाबादी स्थित बोड़ेया रोड के एक फ्लैट में छापेमारी कर पकड़ा था. जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की तो पतरातू थाने के जेएसआइ मुराद हसन ने लिखवाया कि पतरातू में नलकारी पुल के पास वाहन चेकिंग के दौरान भाग रहे एक वाहन को पकड़ा था. वाहन से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार लोगों में राजेश राम व शिवा महली शामिल हैं. दोनों ही आरोपितों के पास से छापेमारी में रिवाल्वर मिला था. आर्म्स एक्ट में प्राथमिकी दर्ज कर राजेश राम को जेल भेजा गया था.
राजेश के परिजन को पतरातू पुलिस के फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, वे पुलिस मुख्यालय पहुंच गये. परिजन ने पुलिस मुख्यालय में शिकायत की कि राजेश की गिरफ्तारी मोरहाबादी से हुई थी. जिसका सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस मुख्यालय को सौंपा. इसके बाद पूरे मामले की जांच करायी गयी. तो हथियार प्लांट कर झूठा केस बनाने और जेल भेजने के मामले में पतरातू थानेदार सहित चार पुलिसकर्मी निलंबित हो गये.
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जिस युवती के हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन युवकों को भेजा जेल वह मिली जिंदा
रांची जिले के चुटिया थाना क्षेत्र में भी 15 फरवरी 2014 को चुटिया की प्रीति नाम की युवती लापता हो गई थी. दूसरे ही दिन बुंडू थाना क्षेत्र स्थित माझी टोली के पास एक युवती का जला हुआ शव बरामद हुआ. प्रीति के परिजन ने उसे अपना समझकर शव का अंतिम संस्कार कर दिया. पुलिस ने डीएनए मैच भी नहीं कराया. इस मामले में पुलिस ने अजीत कुमार, अमरजीत कुमार और अभिमन्यु उर्फ मोनू नाम के तीन युवकों जेल भेज दिया. चार महीने बाद 14 जून 2014 को प्रीति जिंदा मिली. सीआइडी ने तथ्य की भूल बताते हुए कोर्ट में आवेदन दिया था. इसके बाद तीनों बाइज्जत बरी हुए थे. इसमें पुलिस वालों पर कार्रवाई भी हुई थी. मानवाधिकार आयोग ने तीनों को एक-एक लाख मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.
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