Ranchi: रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सरकार 626 सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने में आनाकानी कर रही है. रघुवर ने लिखा है कि उनकी जब उनकी सरकार थी, तब राज्य में स्थानीय नौजवानों को नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए हाई स्कूल टीचर के लिए 17,572 पदों रिक्तियां निकाली गई थीं. 2018 में रिजल्ट आया और 2019 में नियुक्तियां शुरू हुईं. उनकी सरकार के कार्यकाल में लगभग 90 प्रतिशत पदों पर बहाली हो गयी. सिर्फ इतिहास और नागरिक शास्त्र विषय के 626 सफल अभ्यार्थियों को नियुक्ति की जानी थी. इनकी नियुक्ति की अनुशंसा भी हो गयी है. केवल नियुक्ति पत्र दिया जाना है. वह भी देने में सरकार आनाकानी कर रही है.
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हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी नियुक्ति को सही ठहराया
शिक्षा विभाग ने 18 फरवरी 2021 को इनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी, जबकि 11 गैर अनुसूचित जिलों में से देवघर में नियुक्ति की जा चुकी है. अपनी नियुक्तियों के लिए ये सफल अभ्यार्थी हाईकोर्ट की शरण में गये. हाईकोर्ट ने 11 फरवरी 2021 को शिक्षा विभाग को छह सप्ताह में अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश दिया था. उस समय सोनी कुमारी वाले मामले की आड़ में शिक्षा विभाग ने 18 फरवरी को इनकी नियुक्ति पर कार्मिक विभाग को पत्र लिख कर रोक लगवा दी. इस बीच सरकार के निर्णय के कारण हाई स्कूल में नौकरी पाये झारखंडवासियों की नौकरी पर संकट आ गया. इसके खिलाफ सोनी कुमारी और अन्य अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट तक गये. 9 जुलाई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने 13 अनुसूचित जिले व 11 गैर अनुसूचित जिलों में हुई बहाली को सही ठहराया दिया. इसके बाद इतिहास और नागरिकशास्त्र के सफल अभ्यार्थियों के साथ बाकी नियुक्तियों का भी रास्ता साफ हो गया. लेकिन अब भी सरकार इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दे रही है.
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सरकार की नीयत युवाओं को रोजगार देने की नहीं लगती
रघुवर दास ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है. आधे से ज्यादा साल बीत गया, लेकिन अभी तक सरकार नयी नियमावली नहीं बना पायी है. एक माह में नियमावली में सुधार का दावा भी अब पूरा होता नहीं दिख रहा है. इसी प्रकार पंचायत सचिव, सहायक पुलिस, पारा शिक्षक भी आंदोलन करने को मजबूर हैं. पारा शिक्षकों के मामले में तो नियमावली, वेतनमान, कल्याण कोष के गठन समेत अन्य चीजों का पिछली सरकार ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया था. अब केवल जरूरत है, उसे कैबिनेट में लाकर पारित करने की, लेकिन इस सरकार की नीयत युवाओं को रोजगार देने की नहीं लगती है.