Ranchi: रांची के मोरहाबादी मैदान में धरना पर बैठे सहायक पुलिसकर्मियों के जख्मों पर मरहम लगाने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पहुंचे. उन्होंने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों की मांगें जायज हैं. सरकार 7 दिन के अंदर इनकी मांगों को पूरा करे नहीं तो वे भी इनके साथ धरने पर बैठेंगे. रघुवर दास ने कहा कि उन्होंने अपनी सरकार में 2200 सहायक पुलिसकर्मियों की बहाली इस उद्देश्य से की थी कि सुदूर इलाके में रहने वाले युवा नक्सलवाद की राह न पकड़ें. उन्हें रोजगार के साथ-साथ राज्य की सेवा करने का मौका भी मिले. सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति 2 साल के लिए हुई थी और उन्हें तीन साल का एक्सटेंशन दिये जाने का प्रावधान था. साथ ही सिपाही नियुक्ति में प्राथमिकता देने की भी बात थी, लेकिन यह सरकार इन सहायक पुलिसकर्मियों की मांगों को अनसुना करके संवेदनहीनता का परिचय दे रही है. उन्होंने सरकार से अविलंब पुलिसकर्मियों का मानदेय बढ़ाने, सिपाही नियुक्ति में प्राथमिकता और सिपाहियों के रिटायरमेंट के बाद खाली हुए जगहों पर प्राथमिकता के आधार पर उनकी नियुक्ति करने की मांग की.

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सहायक पुलिसकर्मियों के कारण उग्रवाद पर लगा लगाम
सत्ता पक्ष सहायक पुलिसकर्मियों की इस हालत के लिए रघुवर दास को जिम्मेदार बता रही है. इसके जवाब में रघुवर दास ने कहा कि उन्होंने क्या गलत किया. जिन युवाओं को उग्रवादी बंदूक ढोने के लिए जंगल ले जाते थे. उन्हें नौकरी दी.

इन लोगों की वजह से उग्रवाद पर लगाम लगा, लेकिन सरकार के मंत्री इन्हें पाप बताकर इनके माता-पिता को गाली दे रहे हैं. ये पाप नहीं हैं. ये बेटियां हमारे गर्व हैं और युवा हमारा शान हैं. इसपर ओछी राजनाति नहीं होनी चाहिए.
3-4 दिनों में बैठक कर मानदेय बढ़ोतरी पर फैसला ले सरकार
रघुवर ने कहा कि यह सरकार खुद को आदिवासी-मूलवासियों का हितैषी बताती है. जितने भी सहायक पुलिसकर्मी नियुक्त हुए हैं, वे सभी आदिवासी-मूलवासी ही हैं. लेकिन दुर्भाग्य है कि सरकार को इनकी पीड़ा नहीं दिख रही है. 24 दिनों से ये लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपनी जायज मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार चुप है. पिछली बार सरकार के एक मंत्री इन्हें आश्वासन देकर गये थे, वह भी पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार संवेदनशीलता दिखाते हुए 3-4 दिन के अंदर इनके मानदेय बढ़ोतरी को लेकर फैसला ले.

रघुवर के सामने रो पड़ा सहायक पुलिसकर्मी
इससे पहले रघुवर दास ने मोरहाबादी मैदान में धरना दे रहे सहायक पुलिसकर्मियों से मुलाकात की. सहायक पुलिसकर्मियों ने अपनी परेशानियों को रघुवर के सामने रखा. इसी बीच एक सहायक पुलिसकर्मी फफककर रो पड़ा, उसने कहा कि इतने दिनों से धरने पर बैठने के बाद भी कुछ नहीं हुआ. उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई. करियर बर्बाद हो गया. घर और परिवार को बोझ कंधे पर है. कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वह क्या करे.
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