Ranchi : वुमेंस डे पर उद्योग के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी तय करने के लिए बुलंद हुई आवाज. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ट्राइबल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की महिला विंग ने सोमवार को मोरहाबादी स्थित संगम गार्डन में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया. कार्यक्रम झारखंड इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, उद्योग विभाग, झारखंड सरकार, नोडल एजेंसी नेशनल एससी एसटी हब, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया गया है. इसमें रांची और आसपास के क्षेत्रों से 120 महिला उद्यमी शामिल हुईं.
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महिलाएं परिवार की स्तंभ होती हैं : दास
मुख्य अतिथि उद्योग विभाग, झारखंड सरकार के पूर्व प्रबंधक क्लस्टर बी.एम.एल दास ने कहा कि महिलाएं परिवार की स्तंभ होती हैं. आदिवासी समाज में महिलाओं का विशेष स्थान होता है. वह परिवार की महत्वपूर्ण पहिया होती है. मैंने देखा है कि आदिवासी समाज में महिला और पुरुषों में भेद नहीं है. साथ ही, आदिवासी समाज में बेटियां बोझ नहीं होती है, पर समय के साथ सामाजिक परिस्थितियां भी बदली हैं. ऐसे में महिलाओं को और सशक्त बनाने की जरूरत है, ताकि अशिक्षा और गरीबी के कारण हमारी महिलाएं दूसरे राज्यों में शोषित ना हो, उन्हें राज्य के अंदर ही रोजगार से जोड़ा जाए.
महिलाओं के बीच क्लस्टर का भी निर्माण हो
खेती और वन उत्पाद से ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रो यूनिट तैयार किए जाएं. ग्रामीण क्षेत्रों में उस क्षेत्र के संभावनाओं के मुताबिक कार्य कर रहे महिलाओं के बीच क्लस्टर का भी निर्माण किया जाना चाहिए. उन्होंने महिला उद्यमियों को व्यापार के क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित भी किया और भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं से अवगत भी कराया.
अतिथि के रूप में विनोद कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि आदिवासी समाज की महिलाएं इन दिनों तेजी से व्यापार की ओर अग्रसर हुई हैं. इस प्रकार में और इस प्रवृत्ति को देखते हुए राज्य सरकार ने भी गंभीरता दिखाई है. उद्योग व व्यापार से जुड़ी कई योजनाओं को संशोधित भी किया जा रहा है. ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होंगी. ट्राइबल चैंबर की यह पहल सराहनीय है कि उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की एक मुहिम की पहल की. आदिवासी महिलाएं व्यापार के क्षेत्र में आए सरकार उनके साथ है.
सफल महिला उद्यमियों को सम्मानित किया गया
इस सेमिनार का उद्देश्य महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना और ग्रामीण स्वरोजगार को बढ़ावा देते हुए पलायन और मानव तस्करी को रोकना हैं. साथ ही राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना है कि उद्योग के क्षेत्र में महिलाओं की भी हिस्सेदारी तय हो.
कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समुदाय से सफल महिला उद्यमियों को मंत्री के हाथों मोमेंटो और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया, जिसमें अलीशा उरांव, प्रोपराइटर मंडी एड़प्पा, एंकर प्रियंका, दीप्ति रोजा टोप्पो, संध्या सिंह कुंतिया, पुनिया खलखो, समिया उरांव, लक्ष्मी कुमारी, मौसमी भेगरा, कंचन मनीषा बाखला, रिया एक्का प्रमुख रहीं. उद्योग विभाग, झारखंड सरकार पूर्व प्रबंधक क्लस्टर बीएमएल दास और प्रबंधक मोहम्मद साकिब अहमद और नेशनल एससी एसटी हब, एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार, रांची कार्यालय से राज्य प्रमुख विनोद कुमार के अलावा एमएसएमई विकास संस्थान से महिला अधिकारी और टिक्की महिला सेल से कन्वेनर डॉ वासवी किड़ो और टिक्की के सचिव बसंत तिर्की मौजूद थे. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए आदिवासी महिला उद्यमियों ने अपने अनुभव को साझा किया.
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