NewDelhi : दिल्ली में आज रायसीना डायलॉग कार्यक्रम का शुभारंभ हो रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायसीना डायलॉग के सातवें संस्करण का उद्घाटन करेंगे. कार्यक्रम 25 अप्रैल से 27 अप्रैल तक चलेगा. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन होंगी.
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रायसीना डायलॉग में 90 देश करेंगे शिरकत
विदेश मंत्रालय के अनुसा रायसीना डायलॉग 2022 में 90 देशों के 210 से अधिक प्रतिनिधि शिरकत करेंगे. इसमें लगभग 100 सेशन होंगे. इस क्रम में बर्लिन और वॉशिंगटन में साइड इवेंट आयोजित होंगे. जानकारी के अनुसार मुख्य सम्मेलन के दौरान रायसीना के युवा साथियों का कार्यक्रम भी होगा. बता दें कि पिछले साल कोरोना के कारण यह कार्यक्रम वर्चुअल आयोजित किया गया था.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि सम्मेलन में स्वीडन के पूर्व पीएम कार्ल बिल्ड, कनाडा के पूर्व पीएम स्टीफन हार्पर, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व पीएम एंथनी एबॉट के शामिल होने की संभावना है. कार्यक्रम में अर्जेंटीना, आर्मेनिया, गुयाना, नाइजीरिया, नॉर्वे, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मेडागास्कर, नीदरलैंड, फिलीपींस, पोलैंड, पुर्तगाल और स्लोवेनिया के विदेश मंत्री भी भाग लेंगे. ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री भी इस सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं.
केंद्र सरकार ने रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में की थी
रायसीना डायलॉग दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों का एक मंच है जहां वैश्विक हालात और चुनौतियों पर एक सार्थक चर्चा के उद्देश्य से रायसीना डायलॉग की शुरुआत की गयी थी. इसमें 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं. केंद्र सरकार ने रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में की थी. जिसके बाद से हर साल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले देशों और लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का यह प्रमुख सम्मेलन है. इसका आयोजन विदेश मंत्रालय की ओर से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से किया जाता है.
रायसीना डायलॉग में 6 विषयों पर चर्चा होगी
रायसीना डायलॉग की थीम टेरा नोवा- इंपैसंड, इंपैसियस, इंपेरिल्ड है. इसमें 6 विषयों पर चर्चा होगी. लोकतंत्र पर पुनर्विचार : व्यापार, तकनीक और विचारधारा, बहुपक्षीयता का अंत: एक वैश्विक प्रसारतंत्र, जल गुट : हिंद – प्रशांत में अशांत ज्वार, सामुदायिक निगमन : ग्रह, विकास और स्वास्थ्य के पहले प्रतिसाददाता,
पर्यावरणीय बदलाव की प्राप्ति: सामान्य अनिवार्यताएं, अलग-अलग वास्तविकताएं तथा सैम्सन विरुद्ध गोलियथ: लगातार चल रही तकनीकी लड़ाइयां विषय पर चर्चा होगी.