Syed Shahroz Quamar
Ranchi: गुज़रे दो साल रमजान कोरोना के लॉकडाउन में बीता. अब दहशत उसकी नहीं है, लेकिन बढ़ती मंहगाई का असर इफ्तार और सेहरी पर जरूर पड़ रहा है. खजूर से रोजा खोलना पैगंबर हजरत मोहम्मद (सल्ल) की सुन्नत (परंपरा) मानी जाती है. लेकिन उसकी कीमत में भी दोगुना का उछाल आया है. कमोबेश एक पखवाड़े बाद ईद होगी, लेकिन डेढ़ से दोगुना बढ़े मूल्य ने सेवई की मिठास कम ही कर दी है. क्योंकि सेवई के साथ चीनी और दूध के बाजार मूल्य आसमान छू रहे हैं. इफ्तार और सेहरी के वक्त रोजेदारों के दस्तरखान पर इसका खासा असर डाला है. रमजान में खास तौर पर फल, शरबत और तेल या रिफाइन से बने लजीज पकवान का इस्तेमाल होता है. हमने इस सिलसिले में अलग-अलग वर्ग के चार लोगों से बातचीत की, जानिये उनका क्या कहना है.
महंगाई ने गायब किये इफ्तार की मेज से फल: आएशा हारिस
डाइटीशिएन आएशा हारिस ने बताया कि रमजान में इफ्तार क्या सभी चीजें महंगी हैं. पिछले साल जहां खजूर कीमिया 100 से 120 तक मिलता था, वहीं अब इसे खरीदने में 150 से 160 रुपये खर्चने पड़ रहे है. सरसों तेल तो पिछले साल की तुलना में दोगने दाम में लेना पड़ रहा है. चना और चने की दाल सभी चीजें लगभग 30 से 40 प्रतिशत महंगे हो गए. फल तो इफ्तार की मेज से गायब ही हैं. समझें…तरबूज़ 30 से 40 रुपये तो खरबूज 80 तक पहुंच गये. सेहरी में इस्तेमाल होने वाली सेवई का मूल्य पिछले साल 80 से 100 रुपये था तो इस साल 120 से 150 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया.
महंगाई ने किये दस्तरख्वान पर पकौड़े की संख्या कम: इमाला शाजी
हिंदपीढ़ी में रहने वाली गृहिणी और ब्लॉगर इमाला शाजी पूछने पर बताती हैं कि महंगाई के चलते चीनी, दूध से लेकर हरी सब्जियां, तेल, फलों व खजूर आदि की कीमतों में पिछले साल की तुलना में इस वर्ष बेतहाशा इजाफा हुआ है. पिछले वर्ष औसत खजूर 250 से 300 रुपये प्रति किलो मिल जाया करती थी. इस बार वही खजूर 400 से 500 रुपये किलो बिक रही है. महंगाई की मार के चलते रोजेदार अपनी जरुरत में कटौती करने को विवश हैं. बढ़ती महंगाई ने रमजान में बनने वाले व्यंजनों पर काफी असर डाला है. सरसों तेल पहले 120 रुपये था, अब करीब 200 रुपये पहुंच चुका है. रिफाइन तेल 135 रु प्रति लीटर से 220 रुपये लीटर खरीदना पड़ रहा है. पकौड़े की संख्या भी महंगी सब्जी, चना और बेसन के सबब कम होने लगी है. 60 से 70 रुपये किलो वाला चना 100-110 रुपये किलो बिक रहा है. बेसन के रेट में भी यही उछाल है.
कोई भी चीज सस्ती नहीं, हर सामान का दाम बढ़ा हुआ: राशिद अख्तर
डॉ फतह उल्लाह रोड में हार्ड वेयर के कारोबारी राशिद अख़्तर बताते हैं कि महंगाई तो चरम पर है. कोई भी चीज़ सस्ती नहीं है. हर चीज़ का दाम बढ़ा हुआ है. पिछले रमजान में तरबूज़ 20 रुपये किलो था. इस बार 30 से 40 रुपये मिल रहा है. केला का भी वही हाल है. केला पिछले साल 30 रुपये दर्जन मिल जाता था. आजकल 60 रु से 80 रु दर्जन खरीदना पड़ रहा है. अच्छा खजूर पिछले साल 300 किलो बिक रहा था अभी अभी 400 किलो. और तो और रोज़ घर में इस्तेमाल होने वाला तेल है अभी 200 रुपये लीटर मिल रहा हैं. पिछले रोजे के दौरान 120 रुपये लीटर इसकी कीमत थी.
गर्मी के रोज़ा में 10 रुपये में 4 वाले नींबू का रेट अब 10 रुपये में 1 हो जाना: मंजर इमाम
एसएम कंप्यूटर्स के निदेशक और अंजुमन इस्लामिया के पूर्व उपाध्यक्ष मंज़र इमाम बताते हैं कि शदीद (अत्याधिक) गर्मी पड़ने के कारण रोज़ा खोलने मे सबसे ज्यादा तलब शरबत और नीबू पानी की होती है. लेकिन चीनी 38 से 44, रूह अफज़ा का 120 से 150 पर पहुंचना और 10 मे 4 वाले नींबू का 10 में 1 हो जाना सूखते गले को राहत नहीं दे पा रहा है. फलों की बात करें तो सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आने वाला केला 50-55 की जगह 80-100 रुपये दर्जन और प्यास बुझाने वाला तरबूज 20 रुपये के मुकाबले 30 रुपये किलो बिक रहा है. चूंकि दिन भर भूखे रहने की वजह से इफ्तार के वक्त पुए, पकौड़े, समोसे, वेज कटलेट इफ्तार का जरूरी हिस्सा होते हैं. लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस साल मैदा 25 से उछलकर 35, चना दाल 65 से 75, चना 60 से 70, सरसों तेल 155 से 190, रिफाइन 150 से 190 ने सेहरी और इफ्तार के आइटम को कम करने पर मजबूर कर दिया है. दूध की कीमत का 48 से बढ़कर 50 हो जाना, हरी सब्जियों मे 10 से 20 रु की बढ़ोतरी ने प्रभाव डाला है.
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गरीबों के लिए तो और भी मुश्किल हो गया है..