Vinit Upadhyay
Ranchi: कोरोना काल की शुरुआती दौर से ही न्यायिक व्यवस्था ऑनलाइन चल रही है. इसका सीधा असर अधिवक्ताओं की जेब पर पड़ रहा है. झारखंड हाईकोर्ट से लेकर तहसील तक के अधिवक्ताओं की माली हालत पर कोरोना ने काफी बुरा असर डाला है. आलम ये है की मिसलीनियस कार्य करने वाले हजारों अधिवक्ताओं के समक्ष जीविकोपार्जन की समस्या आ खड़ी हुई है.
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इस बीच त्योहारों के इस सीजन में झारखंड के कई जिला बार एसोसिएशन ने अपने अधिवक्ताओं को आर्थिक मदद देकर उनकी तकलीफ थोड़ी कम करने की कोशिश जरूर की, लेकिन कई BAR एसोसिएशन ऐसे हैं जो वैश्विक महामारी के वक्त भी अपने अधिवक्ताओं की मदद करने के लिए खुलकर सामने नहीं आये हैं. अधिवक्ताओं को मदद देने में पीछे रहने वाले BAR में रांची जिला बार एसोसिएशन का नाम भी शामिल है.
गिरिडीह, गुमला, देवघर और रामगढ़ BAR ने की वकीलों की मदद
गिरिडीह, गुमला, देवघर और रामगढ़ झारखंड के ऐसे जिला बार एसोसिएशन के तौर पर सामने आये हैं, जिन्होंने दुर्गापूजा से पूर्व अपने एसोसिएशन से जुड़े सभी अधिवक्ताओं को दो हज़ार रुपये से लेकर 5 हज़ार रुपये तक की आर्थिक मदद की. लेकिन झारखंड का सबसे बड़ा एसोसिएशन होने के बावजूद कोरोना काल के किसी त्योहार में रांची जिला बार एसोसिएशन ने वकीलों को आर्थिक मदद के लिए कोई पहल नहीं की गयी है.
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दीवाली पर वकीलों की मदद करें BAR एसोसिएशनः दीपेश
आरडीबीए के प्रशासनिक सचिव पवन खत्री के मुताबिक कोरोना की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे अधिवक्ताओं को आर्थिक मदद देने के लिए उन्होंने लगातार एसोसिएशन के वरीय पदाधिकारिओं को पत्र लिखा, लेकिन BAR एसोसिएशन इसके प्रति उदासीन रहा.
इस संबंध में अधिवक्ता दीपेश निराला ने कहा कि सभी अधिक्वताओं की कमाई एक बराबर नहीं है और कोरोना काल में सभी वकीलों की जेब ढीली हुई है. ऐसे में आरडीबीए की फिक्स की गयी 6 करोड़ की राशि के ब्याज से अर्जित राशि को अधिवक्ताओं के बीच दीपावली से पूर्व वितरित कर देनी चाहिए. इसके साथ ही BAR द्वारा दी गयी पासबुक में जमा राशि के भुगतान का आदेश भी दे दिया जाना चाहिए, ताकि अधिवक्ताओं की दिवाली भी धूमधाम से मन सके.