Ranchi: झारखंड की वर्षों पुरानी रेल परियोजना रांची-कोडरमा का बुरा हाल है. कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण इसके निर्माण की अवधि और भी लंबी हो गयी है. 18 साल पुरानी इस परियोजना में अब केवल 24 किमी नयी रेल लाइन बनाना ही शेष है. यह शेष कार्य दुर्गम घाटियों के बीच होकर बनाया जाना है. घाटियों के बीच सुरंगों और बड़े पुलों का निर्माण करना अभी भी शेष है. हालांकि तीन में से दो सुरंगें बनकर तैयार हैं. एक सुरंग का कार्य अभी जारी है. गत मानसून के दौरान होनेवाली तेज बारिश ने एक नयी समस्या खड़ी कर दी है. बारिश के दौरान पहाड़ियों पर होनेवाले भूस्खलन से पटरियों पर गिरने वाले पत्थरों ने इस कार्य को और भी जटिल बना दिया है. इसलिए अब साकी से सिद्धवार के बीच करीब तीन किमी के हिस्से तक भूस्खलन से बचाव के लिए कंक्रीट के दीवार और सुरंग बनाए जा रहे हैं. इससे निर्माण कार्य 2021 में भी पूरा होने में अब भी संदेह है.
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पांच बड़े पुल का हो रहा है निर्माण
घाटी के इस हिस्से में पांच बड़े पुल का निर्माण किया जा रहा है. गहरी घाटी होने के कारण इन पुलों का निर्माण जटिल है. यह सभी पुल 35 से 40 मीटर गहरी खाई में बन रहे हैं. इन पुलों की लंबाई 150 से लेकर 200 मीटर तक है. बड़े और जटिल कार्य के कारण इसके निर्माण में और देरी होने की उम्मीद है. यह परियोजना मध्य पूर्व रेलवे के अधीन है. परियोजना से जुड़े हजारीबाग के उप मुख्य अभियंता के अनुसार कार्य बढ़ जाने से इसके निर्माण पूरा होने में और विलंब होगा. ऐसी स्थिति में वर्ष 2021 में यह पूरा हो पाएगा इसकी संभावना कम है.
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2018 में ही पूरी होनी थी परियोजना
पहले से ही विलंब से चल रही इस परियोजना को 2018 में पूरा किया जाना था. लेकिन स्थानीय समस्या, भूमि अधिग्रहण, वन कानून और अब कोरोना-लॉकडाउन के कारण इसका निर्माण पूरी होने की अवधि टलती रही. इस साल कोरोना के कारण मार्च से लेकर अगस्त तक कार्य पूरी तरह से ठप रहा. मानसून खत्म होने के बाद सामाजिक दूरी के कारण कार्य शुरू हुआ है, लेकिन कार्य की रफ्तार धीमी है.
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2002 में शुरू हुई थी योजना
रांची की रेल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए यह रेल लाइन काफी अहम है. इस लाइन के बन जाने से रांची से दिल्ली और पटना का रेल सफर सुगम होने के साथ ही छोटा भी हो जाएगा. इसके बनने से ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा. कोडरमा-हजारीबाग-बरकाकाना के बीच ट्रेनों का परिचालन शुरू है. इस रेललाइन परियोजना का निर्माण 2002 में शुरू हुआ था और इसे 2018 तक पूरा करने की योजना थी.
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