LagatarDesk : आरबीआई ने नयी डिजिटल पेमेंट प्लान पर रोक लगा दी है. डेटा सेफ्टी को ध्यान में रखकर रिजर्व बैंक ने यह फैसला लिया है. आरबीआई ने नेशनल पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) का दबदबा समाप्त करने वाली योजना पर रोक लगाई है. बता दें कि एनपीसीआई नयी कंपनियों को नये डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म बनाने की अनुमति देता था. सूत्रों के अनुसार, आरबीआई को लगता है कि विदेशी संस्थाओं से डाटा सुरक्षा का मुद्दा एक प्रमुख चिंता का विषय है. इसलिए रिजर्व बैंक ने अभी नये लाइसेंस के साथ आगे बढ़ने का फैसला नहीं किया है.
इन कंपनियों ने एनयूई लाइसेंस के लिए किया था आवेदन
बता दें कि आरबीआई ने पिछले साल नये पेमेंट नेटवर्क के लिए ईओआई आमंत्रित किया था. अमेजन, गूगल, फेसबुक और टाटा ग्रुप के नेतृत्व में कम से कम छह कंसटोर्यिम ने रिलायंस और आईसीआईसीआई बैंक जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी करके न्यू अंब्रेला एंटिटीज (NUEs) लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने एसबीआई और यूनियन बैंक जैसे पब्लिक लेंडर्स को लाइसेंस लेने से रोका था. क्योंकि वे एनपीसीआई में शेयर होल्डर थे.
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शुरू से ही इस फैसले की बैंक यूनियनों ने की थी आलोचना
बता दें कि शुरू से ही बैंक यूनियनों ने आरबीआई के इस फैसले की आलोचना की थी. प्राइवेट लेंडर्स को लाइसेंस लेने पर रोक लगाया गया था, जिससे वे भी खुश नहीं थे. ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ फेडरेशन और यूएनआई ग्लोबल यूनियन ने आरबीआई से लाइसेंसिंग प्रक्रिया को खत्म करने और एनपीसीआई को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आग्रह किया था.
डिजिटल पेमेंट में 88 फीसदी का आया उछाल
बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 में डिजिटल पेमेंट में 88 फीसदी की वृद्धि हुई है. यह 23 अरब से बढ़कर 43.7 अरब हो गया है. डिजिटल पेमेंट सिस्टम में तेजी से बढ़त देखने को मिल रही है. इसलिए इस सेक्टर में कई नयी कंपनियों की एंट्री हुई, जिससे डिजिटल ट्रांजेक्शन में उछाल आया है.
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आरबीआई ने मास्टर कार्ड पर लगाई थी रोक
बता दें कि पिछले महीने आरबीआई ने मास्टरकार्ड जारी करने पर रोक लगा दी थी. अब बैंक ग्राहकों को नये क्रेडिट, डेबिट और प्रीपेड कार्ड अपने ग्राहकों को जारी नहीं कर पायेंगे. यह नया नियम 22 जुलाई से लागू हो गया है. आरबीआई के बयान के अनुसार, कंपनी ने पेमेंट सिस्टम डाटा के स्टोरेज से संबंधित दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किया. इसलिए यह कदम उठाया गया था. यह रोक पेमेंट सेक्शन 17 और सैटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 के तहत लगायी गयी है.
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