LagatarDesk : आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू हो गयी है. यह बैठक लगातार दूसरे दिन भी जारी है. आरबीआई 4 जून यानी शुक्रवार को ब्याज दरों पर फैसला लेंगे. इस बार एमपीसी की बैठक में तीसरी मॉनिटरी पॉलिसी की नीतिगत दरों की घोषणा होगी. यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी और कैलेंडर ईयर 2021 की तीसरी मॉनिटरी पॉलिसी बैठक है.
हर दो महीने में होती है एमपीसी की बैठक
आरबीआई की एमपीसी की बैठक हर दो महीने में होती है. इससे पहले मौद्रिक नीति समिति की बैठक अप्रैल में हुई थी. पिछले बार आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. फिललाल रेपो रेट 4 फीसदी है. इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है. देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा.
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लगातार छठी बार स्थायी रह सकता है ब्याज दर
उम्मीद है कि आरबीआई इस बार भी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. यदि ऐसा हुआ तो यह लगातार छठी बार होगा जब ब्याज दर स्थायी होंगे.
यदि नीतिगत दर अस्थायी रही तो सस्ती EMI के लिए करना होगा लंबा इंतजार
रेपो रेट पर आरबीआई बैंकों को कम समय के लिए लोन देता है. रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि ग्राहकों को बैंक से मिलने वाले कर्ज सस्ते हो जायेंगे. यदि आरबीआई ने अस बार भी कोई बदलाव नहीं किया तो इस बार भी आम-जनता को कोई राहत नहीं मिलेगी. यानी सस्ती EMI के लिए इस बार भी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
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एक्सपर्ट का अनुमान
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर एम गोविंदा राव का मानान है कि आरबीआई अपने उदार मौद्रिक नीति रुख को जारी रखेगा. गोविंदा राव ने कहा कि रेपो रेट 4 फीसदी पर ही स्थायी रहने की उम्मीद है. एक्सपर्ट का मानना है कि महंगाई के कारण रिजर्व बैंक इस बार नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करेगा.
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट वह रेट है जिसपर आरबीआई से बैंक लोन लेते हैं. बैंक फिर इसी पैसे को अपने ग्राहकों को लोन देता हैं. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के लोन सस्ते हो जायेंगे.
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क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिसपर RBI, बैंकों से लोन लेता है. रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकद पैसे की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है.