LagatarDesk : आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक 7 फरवरी यानी आज से शुरू होने वाली थी. लेकिन भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन के कारण इस को बैठक को टालने का निर्णय लिया गया. आरबीआई ने रविवार देर शाम एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी. आरबीआई ने कहा कि अब यह बैठक मंगलवार यानी 8 फरवरी से शुरू होगी. जो 10 फरवरी तक चलेगा.
7 फरवरी से 9 फरवरी तक होने वाली थी एमपीसी की बैठक
मालूम हो कि पहले यह बैठक 7 फरवरी से शुरू होने वाली थी. जो 9 फरवरी तक चलती. बजट पेश होने के बाद रिजर्व बैंक की एमपीसी की यह पहली बैठक है. ऐसे में यह बैठक काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बैठक में ब्याज दर पर फैसला हो सकता है. माना जा रहा है कि मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं को देखते हुए आरबीआई इस बार प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. अगर ऐसा हुआ तो लगातार दसवीं बार पॉलिसी रेट्स यथावत रहेंगे.
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इस बार भी ब्याज दरों में नहीं हो सकते बदलाव
फिलहाला सेंट्रल बैंक के ऊपर बढ़ती महंगाई को काबू करने का दबाव है. दूसरी ओर इकोनॉमी को सहारा देने के लिए ब्याज दर को सस्ता बनाये रखने की भी जरूरत है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि रिजर्व बैंक इस बैठक में भी ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगा. हालांकि रिवर्स रेपो रेट में बदलाव और पॉलिसी स्टान्स को एकमोडेटिव से न्यूट्रल किये जाने का भी अनुमान है.
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रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी की हो सकती है बढ़ोतरी
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक की एमपीसी नीतिगत रुख को ‘उदार’ से ‘तटस्थ’ में बदल सकती है. साथ ही नकदी के सामान्यीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में रिवर्स-रेपो दर में बदलाव कर सकती है. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि बजट में वृद्धि को लेकर दिये गये आश्वासन और कच्चे तेल की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका है. जिसको देखते हुए ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत (25 आधार अंक) की वृद्धि करके सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस बार रेपो दर में बदलाव ना होने की संभावना है. हालांकि अगले साल इसमें 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है.
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एक्सपर्ट का अनुमान, इस साल कम रहेगी महंगाई
कोटक महिंद्रा बैंक में उपभोक्ता बैंकिंग की समूह अध्यक्ष शांति एकमबराम ने भी उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी का बदलाव कर सकता है. बार्कलेज में एमडी व चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट राहुल बजोरिया का कहना है कि आरबीआई की ओर से पॉलिसी गाइडेंस, दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों के मुकाबले ज्यादा शांतिवादी रहेगा. इसकी वजह है कि भारत में आउटपुट गैप लंबे वक्त तक निगेटिव रह सकता है. जबकि 2022 के दौरान महंगाई कम रहनी चाहिए. एडलवीज के कपिल गुप्ता ने एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि उम्मीद है कि रेपो रेट पर आरबीआई यथास्थिति बरकरार रखेगा. जबकि रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की संभावना है.
करीब डेढ़ साल से पॉलिसी दरों में नहीं किया गया बदलाव
बता दें कि 8 दिसंबर को बढ़ती महंगाई और ओमिक्रोन के खतरे के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीतियों की घोषणा की थी. आरबीआई ने उस समय पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. यह लगातार 9वीं बार था जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. फिलहाल रेपो रेट 4 फीसदी पर है. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी है. अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए रिजर्व बैंक ने अपना अकोमोडेटिव (उदार) रुख अपनाया. इसलिए करीब डेढ़ साल से भी अधिक समय से ब्याज दरों को स्थिर रखा गया है.
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आम-जनता को सस्ती ईएमआई के लिए करना पड़ सकता है लंबा इंतजार
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट कम होने का मतलब है कि ग्राहकों को बैंक से मिलने वाले कर्ज सस्ते हो जायेंगे. अगर इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किये गये तो आम-जनता को सस्ती ईएमआई के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.
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