NewDelhi : उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के आदेश जारी किये हैं. दरअसल उत्तराखंड हाइकोर्ट ने एक दिन पहले सीएम रावत के खिलाफ सीबीआइ जांच को मंजूरी दी थी.इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है और 4 हफ्ते में इसपर जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि हाइकोर्ट का फैसला चौंकाने वाला था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में हाइकोर्ट के किसी और आदेश पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की.
यहां बता दें कि रघुवर सरकार के दौरान झारखंड बीजेपी के प्रभारी रहे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई की जांच होगी. उनपर झारखंड गौ सेवा आयोग में अध्यक्ष बनाने के लिए अवैध वसूली करने का आरोप है. नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाइकोर्ट ने मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिये थे.
जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2016 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने झारखंड के प्रभारी रहते हुए अवैध वसूली की थी. यह आरोप झारखंड के ही एक पत्रकार उमेश शर्मा ने लगाया था. उस वक्त त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन चुके थे. पत्रकार द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद उसके खिलाफ उत्तराखंड में देशद्रोह का मामला दर्ज करा दिया गया. और उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. हाइकोर्ट ने अपने आदेश में पत्रकार के खिलाफ दर्ज मामले को निरस्त करने का भी निर्देश दिया था.
कांग्रेस ने की सीएम पद छोड़ने की मांग
इधर, हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही थी. उनका कहना है कि यह कानूनी मामला है. इस मामले में वह कानून के तहत की आगे बढ़ेंगे.
उल्लेखनीय है कि उमेश सर्मा ने वर्ष 2016 में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाला था. जिसमें आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री रावत से व्यक्तिगत लाभ पाने के लिए झारखंड के ही अमृतेश चौहान ने एक सेवानिवृत प्रोफेसर हरेंद्र रावत के बैंक खाते में पैसे जमा कराये थे. पोस्ट में यह दावा किया गया था कि हरेंद्र रावत की पत्नी डॉ सविता रावत की बहन मुख्यमंत्री की पत्नी हैं.
हाइकोर्ट का आदेश आने के बाद झारखंड में जहां चुप्पी है, वहीं उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने मांग की है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को तत्काल पद छोड़ देनी चाहिए. क्योंकि उनपर गंभीर आरोप लगा है.