Ranchi : रेमडेसिविर कालाबाजारी मामला में सृष्टि अस्पताल की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. सीआईडी ने जांच में पाया है कि हिनू स्थित सृष्टि अस्पताल में भर्ती श्रवण कुमार और सुधीर मिंज के नाम पर रेमडेसिविर का आवंटन हुआ था. लेकिन इन मरीजों को रेमडेसिविर नहीं दिया गया था, बाद में इसी रेमडेसिविर को अस्पताल के कर्मी मनीष सिन्हा द्वारा मेडिसिन प्वाइंट के संचालक राजेश रंजन को दिया गया था. बता दें कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी के आरोप में रांची पुलिस ने राजीव सिंह को गिरफ्तार किया था. इस मामले में कोतवाली थाना में मामला दर्ज हुआ था, जिसे सीआईडी द्वारा टेकओवर कर जांच की जा रही है.
ग्रामीण एसपी का बयान दर्ज
रेमडेसिविर कालाबाजारी मामला में ग्रामीण एसपी नौशाद आलम और दवा दुकान संचालक राजेश रंजन का बयान धारा 161 के तहत दर्ज किया है. ग्रामीण एसपी ने बयान में बताया है कि मीडिया में आयी खबरों में राजीव सिंह को समाजसेवी बताया गया था और उसके मोबाइल नंबर को भी जारी किया गया था. उन्हें अपने परिचित के लिए रेमडेसिविर की जरूरत थी, ऐसे में उन्होंने मीडिया में प्रसारित नंबर पर कॉल किया. उस नंबर पर राजीव सिंह से बात होने के बाद उन्होंने रेमडेसिविर लाने के लिए अपने चालक और बॉडीगार्ड को भेजा था. गौरतलब है कि इस मामले में कानूनी राय लेने के बाद सीआईडी ने ग्रामीण एसपी को गवाह बनाया है इसमें कहा गया है कि ग्रामीण एसपी की मंशा रेमडेसिविर की कालाबाजारी में सहयोग करना नहीं, बल्कि किसी की जान बचाना था. इसलिए उनको गवाह बनाया गया. वहीं, राकेश रंजन ने बयान में बताया है कि उसके रिश्तेदार राज अस्पताल में भर्ती थे. उनके लिए उसने रेमडेसिविर मनीष सिन्हा से ली थी, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पाया था. ऐसे में वहीं इंजेक्शन उसने राजीव सिंह को दे दिया था.
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कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी है
रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले में सीआईडी ने सृष्टि अस्पताल की भूमिका संदिग्ध पायी गई है. इस मामले में केस के अनुसंधानकर्ता ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भेज कर मामले में कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. अनुसंधानकर्ता ने इस मामले में सृष्टि अस्पताल प्रबंधन से पूछा है कि रेमडेसिविर के आवंटन के क्या नियम थे. इस नियम के तहत अगर अस्पताल को सीधे मरीज के लिए रेमडेसिविर दिए जाते थे, तब ये रेमडेसिविर कैसे दुकान तक पहुंचा. कैसे अस्पताल में भर्ती किसी मरीज को आवंटित रेमडेसिविर बाहर भेजा गया.