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जोशीमठ के तपोवन टनल में वाटर लेवल बढ़ने के कारण बंद हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन फिर शुरू

Dehradun :    उत्तराखंड के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने से तबाही मचने के बाद राहत और बचाव का कार्य लगातार जारी है, आज बचाव का कार्य दोपहर तीन बजे तक लगातार जारी रहा. लेकिन इसके बाद पानी का लेवल बढ़ने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन को कुछ देर के लिए रोक दिया गया. हालांकि बाद में स्थिति अनुकूल होने पर फिर राहत कार्य शुरू कर दिया गया. अब तक वहां 35 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं. इसमें से 10 की ही पहचान हो गयी है. कुल 204 लोग लापता बताये जा रहे हैं. इसे भी पढ़ें : राज्यसभा">https://lagatar.in/p-chidambaram-said-in-the-rajya-sabha-the-real-parasites-are-one-percent-rich-people-who-own-73-percent-of-the-countrys-wealth/26218/">राज्यसभा

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इंडियन आर्मी की रेस्क्यू मशीन अंदर भेजी गयी है.

एक बार फिर टनल से गाद निकालने का काम शुरू हो गया है. इंडियन आर्मी की रेस्क्यू मशीन अंदर भेजी गयी है.  मशीन  वहां से गाद निकाल रही है. हालांकि यह पहली मशीन है जिसको एक्सपेरिमेंट के तौर पर अंदर भेजा गया है यह देखने के लिए कि अंदर से पानी तो नहीं आ रहा है. लेकिन मशीन पहली बार अंदर से गाद निकाल कर सामने आयी है उसमें कहीं भी पानी नजर नहीं आ रहा है. इसे भी पढ़ें : पढ़िये,">https://lagatar.in/read-tmc-mp-mahua-moitras-speech-in-the-lok-sabha-which-has-created-uproar-in-the-ruling-party/26203/">पढ़िये,

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पानी बढ़ने के कारण टनल में बचाव काम रोका गया 

शुरुआत में ऋषिगंगा में जल प्रलय के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने में भारी परेशानी हो रही थी. नदी में पानी का बहाव तेज होने के कारण राहत बचाव कार्यों में लगी मशीनों और कर्मियों को तपोवन सुरंग से वापस बुला लिया गया था.. SDRF ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि पानी बढ़ने के कारण टनल में बचाव काम रोका गया है. बताया कि सुरंग के अंदर 180 मीटर अंदर पहुंचा जा चुका है. सुरंग में पानी के साथ मलबा भी आ रहा है. पानी बचाव कार्य में लगे सभी कर्मजारी सुरक्षित हैं.  राहत बचाव क्षेत्र को खाली कराया गया है. सुंरग के पास करीब आधा किमी का क्षेत्र खाली कराया गया है. इसे भी पढ़ें : पश्चिम">https://lagatar.in/west-bengal-governor-said-in-india-today-conclave-emergency-situation-in-the-state-media-bureaucracy-are-all-scared/26171/">पश्चिम

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अगर हम ड्रिलिंग जारी रखते तो चट्टानें अस्थिर होतीं

एनटीपीसी परियोजना निदेशक उज्जवल भट्टाचार्य के अनुसार ड्रिलिंग के बाद हम छह मीटर की दूरी तक पहुंच गये और फिर महसूस हुआ कि वहां पानी आ रहा है. अगर हम ड्रिलिंग जारी रखते तो चट्टानें अस्थिर होतीं और समस्याएं बढ़ जातीं.  इसलिए हमने ड्रिलिंग ऑपरेशन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है. उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि नदी में पानी के स्तर में वृद्धि के कारण बचाव अभियान अस्थायी रूप से रुका हुआ है.  निचले इलाकों को खाली करने के आदेश दिये गये हैं.

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