Pravin kumar
Ranchi: ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार ने कोरोना काल में मनरेगा योजनाओं में रोजगार देने पर जोर दिया था. विभाग की ओर से महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों को काम देने के लिये नये जॉब कार्ड भी बनाये गये थे.सरकार से लेकर विभाग तक रोजगार देने का दावा करता रहा, लेकिन विभाग के दावे को सोशल ऑडिट ईकाई द्वारा किये गये समवर्ती ऑडिट में झूठा प्रतीत होता है. राज्य में नरेगा योजनाओं में 25 प्रतिशत वास्तविक मजदूर काम कर रहे हैं, योजनाओं में मशीन का उपयोग किया जा रहा है. बिना मास्टर रोल के ही योजनाओं पर कार्य किये जाने के कई गंभीर तथ्यों का खुलासा हुआ. वहीं दूसरी ओर समवर्ती सोशल ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, स्पष्ट होता है कि राज्य में मनरेगा योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारियों/कर्मियों द्वारा नियमों की पूरी तरह अनदेखी की जाती है.
ऑडिट के निष्कर्ष ऐसे समय में आए हैं, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले दो वर्षों में 10 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों के लौटने के साथ महामारी के दौरान नरेगा को “उद्धारकर्ता” के रूप में देखा है. योजना के डैशबोर्ड के अनुसार, नरेगा के तहत, झारखंड ने 9.34 करोड़ कार्यदिवस उत्पन्न किए, 27.97 लाख व्यक्तियों को रोजगार दिया, और अकेले चालू वित्तीय वर्ष में 2,637.60 करोड़ रुपये खर्च किए.
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क्या है समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट में
अंकेक्षित के दौरान 36 योजनाओं में JCB मशीन से काम कराये जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के छह जिलों में 36 कार्य स्थल यह इशारा करते हैं, जहां योजना में मशीनों के उपयोग किया गया. जो “एमआर (मास्टर रोल) में नामित लोगों के संबंध में श्रमिकों की कम उपस्थिति मशीनों और ठेकेदारों के उपयोग की एक बड़ी संख्या को इंगित करती है. जो अधिनियम के मूल भावना के विरुद्ध हैं”.
ऑडिट के दौरान कुल 159608 मजदूरों के नाम से मास्टर रोल (हाजरी शीट) निकाले गए थे, उन मजदूरों में से सिर्फ 40629 वास्तविक मजदूर (25%) ही कार्यरत पाए गए. शेष सारे फर्जी नामों के मास्टर रोल निकाले गये थे.
1787 मजदूर ऐसे मिले, जिनका नाम मास्टर रोल में था ही नहीं.
85 योजनाएं ऐसी मिलीं जिनमें कोई मास्टर रोल सृजित नहीं किये गए थे, परन्तु काम प्रारम्भ कर दिया गया था.
376 मजदूर ऐसे मिले जिनका जॉब कार्ड बना ही नहीं था.
धनबाद में, 1,348 योजनाओं के लिए 7,859 मजदूरों के नाम मास्टर रोल निर्गत किया गया था. ऑडिट के दौरान मात्र 421 मजदूर ही काम करते पाये गये, जो कुल निर्गत मास्टर रोल में मजदूरों की संख्या का मात्र 5% है.
योजना पूरा होने से पहले ही कागजों में कर दी गई योजना पूरी
दुमका जिले में, 869 कार्य स्थलों के ऑडिट में 774 लोग काम पर पाए गए, हालांकि 7,712 मजदूर मास्टर रोल सूचीबद्ध थे. दुमका जिले में दोधली पंचायत के जामा प्रखंड के रिकॉर्ड बताते हैं कि 4.51 लाख रुपये की अनुमानित लागत से एक सिंचाई कुएं के निर्माण पर 21 सितंबर से 4 अक्टूबर के बीच 10 मजदूरों को काम करना था. लेकिन ऑडिट टीम ने पाया कि काम कुछ दिन पहले 2.4 लाख रुपये में “पूरा” हो गया था.
बिना काम किये खाते में आता है पैसा, जिसे बिचौलिये ले लेते हैं
गढ़वा में ऑडिट के दौरान, 20,995 मजदूरों में से मात्र 2,886 कार्य स्थलों पर काम करते हुए पाये गये. ऑडिट टीम को गढ़वा जिला के एक महिला का एक वीडियो मिला है, जिसमें कथित तौर पर यह स्वीकार किया गया था कि उसके खाते में “एक दिन के लिए काम किए बिना” नरेगा मजदूरी प्राप्त हुई थी और पैसा गांव के मुखिया को सौंप दिया.
2,798 मजदूरों का निकाला गया मास्टर रोल 1,253 कार्यस्थल में पाये गये
पूर्वी सिंहभूम में 688 मनरेगा योजनाओं में 2,798 श्रमिकों का मास्टर रोल निर्गत किया गया था. लेकिन इसमें केवल 1,253 मजदूर ही काम के दौरान कार्यस्थल पर मौजूद पाए गए थे. जिसके उदाहरण- पूर्वी सिंहभूम के धालभूमगढ़ प्रखंड में गौशाला का काम दिखाता है कि कैसे ग्रामीण रोजगार योजना उपल्बध कराने की योजना को लूट का केन्द्र बना दिया गया. योजना में काम के लिये “मजदूरों को दूसरे गांवों से बुलाया गया था, यह एक अनुबंध प्रणाली थी,” पंवरा नरसिंहगढ़ पंचायत के स्वर्गाछीरा गांव के सुबोध ने ऑडिट टीम को बताया कि मेरी मां के नाम पर में शेड स्वीकृत किया गया था. जिसमें अक्टूबर से दिसंबर के बीच काम होना था. मुझे कोई काम नहीं दिया गया था.
मास्टर रोल में उन लोगों के नाम थे, जिन्हें मैं जानता था. उनमें से एक जमशेदपुर में काम करता है, दूसरा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है और तीसरा चल नहीं सकता है और उसकी तीन बार आंखों का ऑपरेशन हो चुका है. वहीं इस संबंध में ऑडिट करने वाले लोगों का कहना है कि मनरेगा मजदूरों के नाम पर उनके खातों में पैसा दिया जाता है, जिसमें से ठेकेदार या एजेंट कुछ राशि को छोड़कर बाकी ले लेता है. ऑडिट रिपोर्ट पर कार्रवाई के संबंध में जानने के लिये मनरेगा आयुक्त वी राजेश्वरी से संपर्क करने का प्रसास किया गया, उन्होंने फोन नहीं उठाया.
क्या कहते हैं झारखंड नरेगा वॉच के संयोजक जेम्स हेरेंज
जेम्स हेरेंज ने बताया कि झारखंड में वित्तीय वर्ष 2021-22 में संपन्न समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण के प्रतिवेदन पर कानूनी कार्रवाई के लिये ग्रामीण विकास विभाग के सचिव भारत सरकार को पत्र लिखा है. जिसमें समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित बिंदुओं पर राज्य सरकार से कार्रवाई की मांग की है.
साथ ही कहा कि पूर्व में संपन्न सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित प्रत्येक मामले पर राज्य के जिम्मेवार अधिकारियों से समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने की भी मांग की है. साथ ही बताया कि राज्य सरकार के द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ पत्र निर्गत करने के रवैये को भारत सरकार से अवगत कराया हूं. वहीं अपने पत्र के माध्यम से सभी जिलों में मनरेगा लोकपालों की नियुक्ति जल्दी करने और शिकायत निवारण प्रक्रिया को प्रभावकारी तरीके से लागू करने का मांग भी की है.
कब किया गया समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण
वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी 24 जिलों के 1118 पंचायतों में चल रही मनरेगा योजनाओं का समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण किया गया है. जिसमें कुल 29059 योजना स्थलों का on spot सत्यापन किया गया. समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण 1 अक्टूबर से 18 अक्टूबर और 20 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच किया गया था.
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