Ranchi: झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सरकार के कुछ अधिकारी इस डर में हैं कि कब उनकी गर्दन घपले-घोटालों में फंस जाए. उन्होंने कहा कि यह देखकर हैरानी होती है कि चारा घोटाला में लालू यादव के सहयोगी अफसरों पर हुई कार्रवाई से भी अधिकारी सबक क्यों नहीं लेते हैं. आखिर कैसे कोई अफसर या नेता लालच में अपना पूरा करियर दांव पर लगाने के बारे में सोच लेता है. बाबूलाल ने इसी संदर्भ में अपने मुख्यमंत्रित्व काल का एक अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए ब्यूरोक्रेसी से आग्रह किया है कि इतिहास के पन्ने पलट कर देखें और सोचें कि गलत का अंजाम अंत में क्या होता है.
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जब नक्सलियों पर रहम की बात सुनकर सुनकर रो पड़े थे पुलिस अधिकारी
बाबूलाल ने कहा कि जब उनकी सरकार थी, तब राज्य में उग्रवादियों का उत्पात चरम पर था. उनकी योजना थी कि ज्यादा से ज्यादा उग्रवादियों को मुख्य धारा में वापस लाया जाए. इसी दौरान पता चला कि आदिवासी बहुल एक जिले में कुछ उग्रवादियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने वालों के पीछे पुलिस हाथ धोकर पड़ी थी. तब उन्होंने वहां के सीनियर पदाधिकारी को बुलाकर कहा कि उन पर थोड़ा रहम करें. सरकार उन्हें मुख्य धारा में लाना चाहती है. यह बात सुनकर वे अधिकारी रो पड़े और कहा कि सर ये लोग भारी बदमाश हैं. मुझसे यह नहीं होगा. आप चाहें तो मुझे वहां से हटा दें. बाबूलाल ने कहा कि यह सुनने के बाद उन्होंने अपनी बात वापस ली और कहा कि बेहिचक अपनी कार्रवाई जारी रखें.
चारा घोटाले का अंजाम देख अधिकारी क्यों नहीं लेते हैं सबक
बाबूलाल ने कहा कि उन्होंने पद की गोपनीयता की शपथ ली थी. इसलिए उस अधिकारी का नाम उजागर नहीं करेंगे, लेकिन जब भी उन्हें वह वाकया याद आता है, तब उस अधिकारी के प्रति सम्मान बढ़ जाता है. जबकि ठीक इसके उलट आजकल कुछ नये अफसर चंद पैसों और महत्वपूर्ण पद की लालच में गलत काम करने को तैयार रहते हैं. हेमंत सरकार के इशारे पर हर गलत काम करने वाले ऐसे कुछ अफसर आजकल इस डर में हैं कि न जाने कब उनकी गर्दन दबोचा जाए. ऐसे अधिकारी सफाई देते हैं कि दबाव देकर उनसे गलत काम करा लिया गया है. कहते हैं कि जब जान पर बन आएगी, तब मजबूरी में सारी पोल-पट्टी खोलनी पड़ेगी. आखिर ये अधिकारी चारा घोटाले का अंजाम देखकर सबक क्यों नहीं लेते.
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