Soumitra Roy
तथ्य- 01: दुनिया के भुखमरी सूचकांक में भारत 117 देशों में 94 पायदान पर है. पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भी हमसे ऊपर हैं.
तथ्य- 02: संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थायी विकास लक्ष्य 2030 तक भुखमरी, गरीबी को खत्म करने और उत्तरदायी उत्पादन, उपभोग को सुनिश्चित कर असमानता को कम करने का है.
भारत इस स्थायी विकास लक्ष्य के मामले में 165 देशों में 120 नंबर पर है. यानी सबसे गरीब सब-सहारा अफ्रीका के देशों से भी नीचे. लेकिन मोदी सरकार क्या कर रही है? मोदी सरकार ने गरीबों के हिस्से का 78 हजार टन चावल 2000 रुपये प्रति क्विंटल दाम पर कंपनियों को दारू बनाने के लिए देने का नीतिगत फैसला किया है.
याद रखें कि राज्य भी केंद्र से 2200 रुपये क्विंटल दाम पर चावल खरीदते हैं. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 1991 में कांग्रेस राज में प्रति व्यक्ति चावल की सालाना उपलब्धता 81 किलो थी. यह मोदी राज में 2019 में घटकर 70 किलो रह गयी है.
दाल, तेल, पेट्रोल की कीमत सबको पता है. मोदी ने 2025 तक इथेनॉल ब्लेंडिंग का टारगेट 25% रखा है. गरीबों का हिस्सा मारकर? यह नरेंद्र मोदी सरकार का नीतिगत फैसला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के हक़ का भाषण देते हैं. अपनी सरकार को दीनदयालु बताते हैं. लेकिन इसी सरकार में FCI के गोदाम में रखा भूखों का चावल कंपनियों को दारू बनाने के लिए बेच रहा है. और भूख का व्यापार करने वाले लोग पर्दे में छिपकर चुप बैठे हैं.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.