Ranchi: रिम्स प्रबंधन ने जानकारी दी है कि 12 में से 8 अल्ट्रासाउंड मशीनें सही ढंग से काम कर रही हैं. यह आठ मशीनें यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक, स्त्री रोग, कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी व क्रिटिकल केयर विभाग में स्थित हैं. लेकिन हकीकत यह है कि वर्तमान में भर्ती मरीजों का ही ऑपरेशन किया जा रहा है. भर्ती मरीजों का अल्ट्रासाउंड रिम्स के यूरोलॉजी विभाग में ही हो रहा है. जहां तीन-तीन दिनों का नंबर दिया जा रहा है. शुक्रवार को यूरोलॉजी विभाग में भी मरीजों का अल्ट्रासांउड नहीं किया गया. क्रिटिकल केयर विभाग रिम्स के ट्रामा सेंटर में मशीन उपल्ब्ध है, पर वहां अल्ट्रासाउंड के लिए बीलिंग ही नहीं हो रही है. रिम्स में भर्ती मरीजों को भी कई बार बाहर जाकर ही अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है. गाइनी विभाग में सिर्फ गर्भवती महिलाओं का ही अल्ट्रासाउंड किया जाता है.
ओपीडी में आने वाले मरीजों को बाहर ही कराना पड़ रहा अल्ट्रासाउंड
ओपीडी में आने वाले एक भी मरीज का अल्ट्रासाउंड रिम्स में नहीं हो रहा है. ओपीडी में आने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए निजी केंद्रों के भरोसे रहना होता है. रिम्स परिसर में ही मौजूद हेल्थ मैप में प्रतिदिन 30 मरीजों को अल्ट्रासाउंड किया जाता है. इनमें से अधिकतर भर्ती मरीज ही होते हैं. कई बार इमरजेंसी में भी मरीजों को अल्ट्रासाउंड हेल्थ मैप में ही जाना पड़ता है. यहां भी दो से तीन दिनों तक मरीजों को इंतजार करना होता है. बता दें कि बाहर अल्ट्रासाउंड कराने पर मरीजों को दस गुना अधिक पैसे का भुगतान करना पड़ता है. रिम्स में जहां 180 रूपये में अल्ट्रासाउंड होता है, वहीं बाहर करीब एक हजार रुपये का भुगतान करना पड़ता है.
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एनेसथिसिया के लिए खरीदी गई 4 मशीनें, पंजीकरण का इंतजार
रिम्स में एनेसथिसिया की चार नई मशीनें खरीदी गई हैं. जिसका पंजीकरण होने के बाद ही संचालन हो सकेगा. पंजीकरण के लिए रांची डीसी को आवेदन रिम्स प्रबंधन की ओर से भेजा गया है. प्राधिकार से रजिस्ट्रेशन होने के बाद परिचालन शुरु कर दिया जाएगा. बता दें कि एनेसथिसिसा की मशीन की पर्याप्त अनउपलब्धता के कारण कई बार मरीजों का ऑपरेशन टल जाता है.