Ranchi : जन्म के बाद अपने बच्चे को एक मां-बाप इसलिए छोड़ कर चले गये क्योंकि वह जन्मजात बीमारी से ग्रसित था. रिम्स में प्रसव के बाद बच्चे को देखकर परिजन ने अपने ही कलेजे के टुकड़े से मुह मोड़ लिया. बच्चे को नियोनेटल आइसीईयू में भर्ती करने बाद घरवाले चुपचाप चले गये, लेकिन बच्चे को बचाने की मुहिम में रिम्स के डॉक्टर जुट गये. पीएसएम विभाग के डॉ देवेश ने ऑपरेशन के पहले उसे अपना खून दिया, तो वहीं न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ सीबी सहाय अपने टीम के साथ दो घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद बच्चे को बचाने में कामयाब हुए.
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अनाथ आश्रम करुणा संस्था के लोग बच्चे के साथ खड़े हुए
15 दिन पूर्व जब इस बच्चे का रिम्स में जन्म हुआ, तो उसकी स्थिति देख घरवालों ने भी उसका साथ छोड़ दिया. सीडब्ल्यूसी को सूचना मिली, जिसके बाद करुणा संस्था के हवाले बच्चे को किया गया. संस्था के लोग बच्चे के घर का पता लगाने के लिए जुटे रहे, लेकिन प्रसव के दौरान जो पता दिया गया, उस जगह जाने के बाद भी बच्चे के घर वालों का पता नहीं चल सका.
पीएसएम विभाग के डॉ देवेश ने दिया खून
करुणा संस्थान से जुड़े डॉ देवेश संस्था के झारखंड ब्रांच के राज्य सचिव हैं. उन्हें बच्चे के ऑपरेशन से पहले खून की जरूरत पड़ने की जानकारी मिली. उन्होंने बच्चे को बचाने के लिए बिना देर किये ब्लड बैंक आकर खून दिया.
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दो घंटा चला ऑपरेशन, चिकित्सकों की निगरानी में रहेगा बच्चा
वहीं रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ सीबी सहाय ने कहा कि बच्चे को जन्मजात बीमारी है. इस बीमारी में सिर के पीछे का भाग (मस्तिष्क) का हिस्सा और सीएसएफ बाहर निकल कर एक थैली की तरह बन जाता है. चिकित्सा की भाषा में इसे Occipital Meninjo encephalocele कहा जाता है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की टीम ने मिलकर 2 घंटे तक ऑपरेशन किया है. अगले 3 दिन तक उस नवजात बच्चे को चिकित्सकों की गहन निगरानी में रखा जायेगा.
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