Ranchi : माल-पहाड़िया जनजाति की औसत उम्र क्यों कम है, इस पर रिम्स के द्वारा शोध किया जाएगा. रिसर्च के लिए निकाली गई पांच पदों पर नियुक्ति के परिणाम जारी कर दिए गए हैं. बता दें कि इसमें प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर (कंसलटेंट) के लिए सेसिल हेम्ब्रम, न्यूट्रीशनिस्ट (कंसलटेंट) के लिए ममता कुमारी, डाटा एंट्री ऑपरेटर के लिए फारूक अंसारी, प्रोजेक्ट अस्सिटेंट-ll (मल्टीटास्किंग) के लिए चिंटू कुमार मोदक, प्रोजेक्ट अस्सिटेंट-l (मल्टीटास्किंग) के लिए विजय कुमार और अकाउंट्स सपोर्ट प्रोजेक्ट अस्सिटेंट-ll के लिए ब्रजेश कुमार हेम्ब्रम का चयन किया गया है.शोध के लिए रिम्स के एसोसिएट डीन रिसर्च के द्वारा साक्षात्कार के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया है.
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स्वीडन की सामी जनजाति से माल-पहाड़िया की आयु की होगी तुलना
गौरतलब है कि सुदूरवर्ती संथाल के इलाके में रहने वाली माल-पहाड़िया जनजाति के लोगों की औसत उम्र कम होती जा रही है. इसे लेकर रिम्स का पीएसएम विभाग रिसर्च करेगा. इसमें माल पहाड़िया जनजाति के रहन-सहन, खानपान पर शोध होगा. यह पता लगाया जाएगा कि आखिर क्या वजह है कि झारखंड की माल-पहाड़िया जनजाति की औसत आयु सीमा यूरोप के स्वीडन की सामी जनजाति से कम है. इसी को आधार मानते हुए शोध किया जाएगा. जिसकी तुलना झारखंड के संथाल में पाए जाने वाली माल-पहाड़िया जनजाति से होगी. स्वीडन की सामी जनजाति की औसत आयु 83 साल होती है. जबकि माल-पहाड़िया की आयु 60 वर्ष से भी कम है.
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