NewDelhi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश को लेकर विपक्ष के सुर में सुर मिला रहा है. इसका मतलब आलोचनाओं का सामना कर रही मोदी सरकार को अब अपनों का भी विरोध झेलना पड़ रहा है. खबर है कि भारतीय मजदूर संघ केंद्र ने सरकार के इस कदम (विनिवेश) का विरोध करने के लिए 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है.
सभी ट्रेड यूनियनों को सरकार की नीति का विरोध करना चाहिए
जान लें कि एएनआई ने भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के ऑल इंडिया सेक्रेटरी गिरीशचंद्र आर्य के हवाले से कहा है कि बीएमएस की समन्वय समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश के सरकार के फैसले का विरोध करने का फैसला किया है. कहा कि आंदोलन के लिए पहचान रखने वाले सभी ट्रेड यूनियनों को सरकार की इस नीति का विरोध करना चाहिए, लेकिन वे चुप हैं, ऐसी स्थिति में हमने राष्ट्रव्यापी धरने का निर्णय लिया है
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कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सत्ता में कौन है
गिरीशचंद्र आर्य ने कहा, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सत्ता में कौन है. सार्वजनिक क्षेत्र के लिए हमारा रुख समान रहना चाहिए.यह महसूस करना चाहिए कि सार्वजनिक क्षेत्र बहुत अच्छा लाभांश देता है. पूछा कि केंद्र सरकार इसे क्यों बेचना चाहती है?” आर्य ने कहा कि बीएमएस एनएचपीएल, बीएसएनएल और बीएचईएल सहित स्टील, पावर, टेलिकॉम, बैंक, इंश्योरेंस सेक्टर के लोगों को आमंत्रित किया है.
सरकार निजीकरण के मोर्चे पर भी विफल रही
उन्होंने कहा, ”सरकार विनिवेश के मोर्चे पर विफल रही.सरकार निजीकरण के मोर्चे पर भी विफल रही.सरकार ऐसे अर्थशास्त्रियों की मदद से काम कर रही है जो इन कदमों को बढ़ावा देते हैं. वह देश के बारे में कुछ नहीं जानते हैं.हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुद कहती हैं सरकार बिक्री नहीं कर रही है. मैं मानता हूं कि सरकार इसे पट्टे पर डाल रही है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी है, जो सभी गैर-रणनीतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करेगी.