Ranchi : रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसरों को पिछले 6 माह से वेतन नहीं मिला है. वेतन नहीं मिलने के कारण प्रोफेसर आंदोलन के मूड में हैं. प्रोफेसरों ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन कक्षा ली गई थी. लेकिन ऑनलाइन कक्षा का लिंक नहीं होने के कारण पिछले 6 माह से असिस्टेंट प्रोफेसरों को उनका वेतन नहीं मिल रहा है. प्रोफेसरों ने कहा कि हमारे द्वारा कक्षाएं नियमित तौर पर ली गई हैं, लेकिन हमें लिंक जमा कर रखनी थी, इसकी जानकारी लिखित और मौखिक तौर पर विश्वविद्यालय ने नहीं दिया था. बताया कि कोरोना के दौरान दो पारियों में शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को ऑनलाइन कक्षाएं दी गई. पहली पाली में शामिल शिक्षकों का वेतन मिल चुका है. जबकि दूसरी पाली में शामिल शिक्षकों का वेतन 6 माह से रुका हुआ है. कुल 42 शिक्षक द्वारा कोरोना महामारी के बीच जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विद्यार्थियों को शिक्षा दी गई थी. अब शिक्षक आंदोलन के मूड में हैं और जल्द ही रांची विश्वविद्यालय का घेराव कर अपने हक अधिकार के लिए आवाज उठाने को तैयार हैं.
2018 में हुई थी 42 शिक्षकों की कॉन्ट्रैक्ट पर बहाली, 3 साल का वेतन पेंडिंग
रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में बहाल कॉन्ट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसरों ने बताया कि जनवरी 2018 में 42 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर विश्वविद्यालय ने की थी. इसका उद्देश्य था कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा का प्रचार प्रसार और दायरा राष्ट्रीय स्तर पर बन सके. साथ ही विद्यार्थियों को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की बेहतर समझ हो. लेकिन फिलहाल जनवरी 2018 से लेकर 2022 तक लगभग 3 वर्षों का वेतन असिस्टेंट प्रोफेसरों की पेंडिंग है. असिस्टेंट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार दास ने बताया कि 2018 में 9 माह का वेतन नहीं मिला है. 2019 में 10 माह का वेतन नहीं मिला है. 2020 में 12 माह का वेतन नहीं मिला है और 2021 में 2 माह का वेतन नहीं मिला है. लगभग 3 वर्षों का वेतन जॉइनिंग के बाद से अब तक पेंडिंग है. वेतन भुगतान के लिए कई बार विभाग द्वारा लिखित आवेदन दिए गए हैं. लेकिन रांची विश्वविद्यालय द्वारा अब तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है. जिसके कारण असिस्टेंट प्रोफेसरों में विश्वविद्यालय के प्रति रोष है.