Ranchi : एचईसी कर्मियों को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं. इस कहावत की सच्चाई से एचईसी कर्मी रोज जूझ रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान कारखानों की जननी हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड, एचईसी आर्थिक संकट के दौर से भी गुजर रहा है. कंपनी में उत्पादन नहीं के बराबर रह गया है. रक्षा और नौ सेना से मिले कुछ उपकरणों का निर्माण हो रहा है. एचईसी के फाउड्री फोर्ज प्लांट, एफएफपी और हेवी मशीन बिल्डिंग प्लांट, एचएमबीपी के कई शॉपों में काम बंद हो गया है. शॉप ठप पड़े हुए हैं.
एचईसी के समक्ष आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. प्रबंधन चाह कर भी कर्मियों को वेतन का भुगतान नहीं कर पा रहा है. एचईसी के अफसरों को पिछले चार माह से वेतन नहीं मिला है. वहीं कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नसीब नहीं हुआ है. कर्मचारी कंपनी की स्थिति से परिचित हैं. इसलिए चाह कर भी आंदोलन नहीं कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी रहेगी, तब हमलोग की रोजी-रोटी बची रहेगी. वर्तमान समय में आंदोलन कंपनी को बंदी के कगार पर पहुंच सकता है.
एचईसी की आर्थिक स्थिति अगर जल्द नहीं सुधरी, तो कंपनी अगले वित्तीय वर्ष में बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा. निगम कर्मियों को वेतन के लिए अभी ही पैसे नहीं है, अगर यही स्थिति रही, तो कारखाना में मशीनों में उपयोग होने वाले तेल-पानी की भी खरीदारी नहीं हो पाएगी. महत्वपूर्ण मशीनों के बंद होने के बाद कारखाना में उत्पादन ठप हो जाएगा. एचईसी अफसरों का कहना है कि अगर कारखाना में एक बार उत्पादन ठप हो गया, तो एचईसी को बंद होने से कोई नहीं बचा सकता है. कंपनी के पर्याप्त कार्यादेश हैं. मगर कार्यशील पूंजी का अभाव है.
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वेतन भुगतान करने में प्रबंधन ने जताई असमर्थता
जून माह शुरू होने के साथ एचईसी अफसरों का बिना वेतन के पांचवा माह शुरू हो गया. वहीं कर्मचारियों का चौथ माह चालू हो गया है. श्रमिक संगठनों और कर्मचारियों के दबाव के बावजूद कंपनी प्रबंधन ने वेतन भुगतान करने में असमर्थता जता दिया है. प्रबंधन के आला अफसरों का कहना है कि वेतन भुगतान कर्मचारियों का पहले करने का प्रयास किया जा रहा है. अफसरों को वेतन मिलेगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है. मगर कोशिश है कि कर्मचारियों को जल्द से जल्द वेतन का भुगतान कर दिया जाये.
हर माह वेतन मद में 7 करोड़ खर्च, हर माह कंपनी का खर्च 11 करोड़ 40 लाख
एचईसी में अभी 1375 स्थायी अफसर-कर्मचारी हैं. वहीं करीब 1800 सप्लाई मजदूर काम करते हैं. हर माह कंपनी का वेतन आदि मद में करीब 11 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च होता है. सिर्फ वेतन पर हर माह 7 करोड़ खर्च आता है. एचईसी पर कर्मचारियों का वेतन आदि मद में अबतक करीब 35 करोड़ रुपये बकाया हो गया है. कर्मचारियों को वेतन मिले 4 माह दो दिन हो गए हैं. वहीं अफसरों के 5 माह दो दिन हो गए बिना वेतन काम करते हुए.
वेतन भुगतान के लिए यूनियन ने दिया अल्टीमेटम, कर्मियों के समक्ष आर्थिक संकट
हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राणा संग्राम सिंह ने प्रबंधन से कामगारों का वेतन नियमित करने को कहा है. प्रत्येक माह एक निश्चित तारीख को वेतन का भुगतान का आग्रह किया है. राणा संग्राम सिंह का कहना है कि कामगार पूरा मेहनत कर कार्य का निष्पादन करते हैं. कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिल रहा है. कर्मचारी कंपनी की आर्थिक स्थिति से परिचिति हैं. प्रबंधन विभिन्न सेक्टर में बकाया राशि लेने के प्रयास में है. कोरोना महामारी की वजह से हर सेक्टर संकट के दौर से गुजर रहा है. एचईसी कर्मचारी कोरोना महामारी और आर्थिक संकट दोनों की मार झेल रहे हैं. मगर वह दिन दूर नहीं, जब एचईसी कर्मचारी अपनी मेहतन की बदौलत कंपनी को आर्थिक संकट से उबारेंगे.
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HEC ki halat yehi hai hamesha se, aur yanha ke long iske sath jeena sikh kaye hain. 1990 se pahle govt salary payent deti thi, jab se khud kama ke khane ki bari ayi, HEC ki halat ye ho gayi,😂😂😂
Management to tik hai, yanha ki worker officer sab is halat ke karan hain, bus sab ko ranchi me rahna hai, HEC ka lease wala quarter lena hai, subah 4 baje pani bharna hai, chal jaise gharo me rahana hain, mast hai dosto don’t care for them. Thay are itself responsible for the past and present.,😂😂😂
Inke bagal me aur bhi PSU hain, mehnat karti hain, responsibility leti hain, time se project aur kaam karti hai, Payscale me bhi jameen asman ka antar hai, per kabhi sikhe ge bhi nahi unse ki kaise kaam kiya jata hai,😠 bus bechare sarm ke mare birsa chowk cross nahi karte.😂😂
Management ko director director aur COP COP khelna hain, Govt ko feedback bhi nahi dete hi halaat bahut bure hain. Bus hamari kursi pe problem na ho jaye, aur hame salary ki kya dikket hai, company ki gadi hai, ghar mila hai, sarvent bhi hai, mali bhi hai, guest house se chicken chilli bhi mil jata hai, paise le ker kya karenge, chalo side hi rahte hain, retirement me to mil hi jana hai.😡😡
Bus problem to unko hi hain yanha per jo ki sirf aur sirf salary pe dependent hai, aur bachare kaam bhi karte hain😓
Neta marte dam tak neta bane rahna chahte hain, canteen chalna chahiye bus😌