Godda : राज्य के कोरोना संक्रमण के घटते-बढ़ते मामलों के बीच झारखंड का गोड्डा शहर किसी अन्य बातों के लिए चर्चा में बना हुआ है. दरअसल शहर के वार्ड नंबर दो स्थित राजकचहरी सरोवर शिवपुर-रौतारा से दुलर्भ प्रजाति की सकरमाउथ कैटफिश मिली है. कहा जा रहा है कि ऐसे कैटफिश अमूनन इस जलवायु में नहीं पाया जाता है. यह समुद्री प्रजाति की मछली है. जानकार इसे इको सिस्टम के लिए हानिकारक बता रहे हैं. किस तरह से इस तालाब में मछली आई, इसका पता भी सही तरीके से नहीं चल पा रहा है. संभावना जताई जा रही है कि मछली जीरा के साथ यह आ गई होगी.
मछली का मुंह नीचे की तरफ है
आसपास के लोगों का कहना है कि तालाब में अजीब किस्म की मछली देखी. जिसे कभी देखा ही नहीं था. मछली को किसी तरह पकड़ कर घर लेकर आ गए. इसका आकार को देखा जाए, तो मछली का मुंह नीचे की तरफ है, और चमड़ी काफी सख्त है. साधारण मछली से अलग है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मानें, तो यह सकरमाउथ कैट़िफश है. जो मछली साउथ अमेरिका के अमेजन जलवायु में पाई जाती है और वहीं की प्रजाति भी है. भारत के नॉर्थईस्ट इलाकों व केरल के कुछ हिस्से में भी यह मछली मिलती है. खूबसूरत होने की वजह से लोग एक्यूरियम में इस मछली को रखते हैं. हालाकिं वैज्ञानिक यह कहने में भी असमर्थ है कि आखिर यह दुलर्भ मछली कैसे तालाब में आई.
मांसाहारी प्रजाति की मछली है
स्थानीय लोग यह भी कह रहे है कि किसी के एक्यूरियम से यहां पहुंची हो. बहरहाल यह मछली काफी खतरनाक है और इसे लोगों को खाने से मना किया है. साथ ही यह भी बताया कि यह मछली तालाब में अन्य मछलियों और जीव,जंतुओं को मार देती है. यह मांसाहारी प्रजाति की मछली होती है. जिसकी वजह से यह इकोसिस्टम के लिए भी हानिकारक है.