Ranchi: स्वच्छ भारत मिशन झारखंड में लूट का सबसे बड़ा मिशन बन गया है. राज्य में 6 साल में शौचालय निर्माण के नाम पर 1000 करोड़ से ज्यादा का घोटाला हुआ है. ताजा मामला रामगढ़ का है. जहां शौचालय निर्माण में 70 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है. रामगढ़ के 326 गांवों में 120 करोड़ की लागत से 1 लाख शौचालय बनने थे. इसमें से 25 हजार बने ही नहीं हैं. जबकि 33 हजार शौचालय को आधा-अधूरा बनाकर घोटालेबाजों ने पूरी राशि निकाल ली. जांच में यह पता चला है कि शौचालयों को बनाने वाली अधिकांश समितियों के नाम फर्जी हैं.
लाभुकों की लिस्ट में यूपी, बिहार और बंगाल के लोग
इससे पहले 2018 में धनबाद में 20 करोड़ का शौचालय घोटाला सामने आया था. वार्डों में बने व्यक्तिगत शौचालय के नाम घोटाला किया गया था. जिन लाभुकों के खाते में शौचालय निर्माण की राशि भेजी गई थी, वे बिहार, बंगाल और यूपी के रहने वाले थे. वहीं एक ही परिवार में पति, पत्नी और बेटों का लाभुक बना दिया गया था. निगम क्षेत्र में 4303 शौचालय का निर्माण किया गया, 47 हजार लाभुकों के खाते में 58 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया. जांच में खुलासा हुआ कि 47 हजार में 17 हजार शौचालय का निर्माण कागज पर ही कर दिया गया.
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SHG समूहों के बीच रेवड़ियों की तरह बंटे TOILET
2021 में चतरा में 4 करोड़ 78 लाख के शौचालय घोटाले का मामला सामने आया. एसबीएम के गरीबों के यहां नि:शुल्क बनाए जाने वाले शौचालय को जिले के एसएचजी समूहों के बीच को रेवड़ियों की तरह बांट दिया था. किसी समूह को 10 तो किसी को 771 शौचालय बनाने के लिए दिया गया था. शौचालय निर्माण के पहले ही एसएचजी के खाते में एक लाख 20 हजार रुपए से लेकर 92 लाख रुपए तक भेज दिया गया.
शौचालय बना नहीं, पंचायत ओडीएफ घोषित
2021 में गढ़वा में शौचालय घोटाला सामने आया. चुटिया पंचायत में 250 से अधिक शौचालय का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है. जबकि चुटिया पंचायत को 2019 में ही ओडीएफ घोषित करते हुए 1200 से भी अधिक शौचालय का निर्माण दिखा कर राशि की निकासी कर ली गयी है.
बिना शौचालय बनाये एजेंसी को कर दिया भुगतान
वहीं पलामू के पांकी प्रखंड के सगालीम पंचायत के परसिया व सगालीम गांव में 325 शौचालय निर्माण का 39 लाख रुपये फर्जी तरीके से निकासी कर ली गई है. एजेंसी को बगैर शौचालय निर्माण के ही 39 लाख रुपये भुगतान कर दिया गया. इसी तरह परसिया गांव में 380 शौचालय निर्माण किया जाना था. इसमें 251 शौचालय का ही निर्माण हुआ. 129 शौचालय बिना बनाए ही 15 लाख 48 हजार की निकासी कर ली गई.
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तय लक्ष्य से 50 शौचालय कम बनाये
2021 में बोकारो के कसमार प्रखंड की दुर्गापुर पंचायत में लक्ष्य से 50 शौचालय कम बनाकर राशि गबन करने का मामला सामने आया. पंचायत को कुल 86 लाख 52 हजार रुपये उपलब्ध कराए गए थे. ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति मेढा ने 1.56 लाख रुपये वापस किए गए थे. शेष 84.96 लाख रुपये के विरूद्ध 708 शौचालय बनाने थे. लेकिन 691 शौचालयों की सूची उपलब्ध कराई गई.
उपयोगिता प्रमाण पत्र ने खोली पोल
2021 में खूंटी जिले में शौचालय निर्माण में घोटाला सामने आया. गुमला जिले में एक लाख 23 हजार 927 शौचालय बनना था. लेकिन 81 हजार 412 शौचालय का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा हुआ. यानी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 81 हजार 412 परिवार ही शौचालय का उपयोग करते हैं. जबकि गुमला जिले में करीब दो लाख परिवार हैं.
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सिर्फ कागज पर 200 शौचालय
2020 में सिल्ली के बनता गांव में लाखों का शौचालय घोटाला सामने आया. कागज पर ही अफसरों ने 200 शौचालय बनाकर गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया. बनता हजाम गांव में कुल 1066 शौचालय का निर्माण होना था. इसमें बेस लाइन सर्वे के तहत 735, लेफ्ट आउट बेस लाइन सर्वे के तहत 239 और एनएलबी के तहत 92 शौचालय बनाने का लक्ष्य था. लेकिन अफसरों ने जमीन के बजाय कागज पर ही 200 शौचालय बनाकर लक्ष्य को पूर्ण बता दिया.
लाभुकों की लिस्ट में मृतक भी
दुमका के मुड़भंगा गांव में 2015 – 16 में 32 लाख 11 हजार रुपये की लागत से 264 शौचालय निर्माण की स्वीकृति मिली थी. लेकिन महज 125 शौचालय निर्माण कर पूरी राशि की निकासी कर ली गई. वैसे लाभुकों के नाम पर भी शौचालय का निर्माण दिखाया गया है, जिनकी मौत वर्षों पहले हो चुकी थी.
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13 साल में 253 करोड़ का शौचालय घोटाला
शौचालय निर्माण के नाम पर घोटाला झारखंड में पहली बार नहीं हो रहा है. राज्य बनने के पहले से बंदरबांट हो रही है. इससे पहले 1998 से 2012 तक भी संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत 253 करोड़ की राशि का बंदरबांट हुआ था. एजी की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. 1998-99 में केंद्र सरकार ने महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग द्वारा संपूर्ण स्वच्छता अभियान शुरू किया. 2012 में जब केंद्र में जयराम रमेश ग्रामीण विकास मंत्री बने, तब इसे मनरेगा से टैग किया गया और बाद में इसका नाम बदल कर निर्मल भारत अभियान कर दिया गया. 2012 तक झारखंड सरकार ने 15 लाख शौचालय निर्मित व व्यवहार में बताया. 2013-14 में एजी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इस आंकड़े को गलत बताया. ऑडिट रिपोर्ट में 10 लाख शौचालय पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया.
IPSOS की रिपोर्ट खोलेगी पोल
झारखंड में आखिर कितने करोड़ का टॉयलेट घोटाला हुआ है, इसका पूरा हिसाब-किताब जल्द मिल जाएगा. केंद्र के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने झारखंड में ओडीएफ घोषित जिले और गांव की सच्चाई जाने के लिए जांच शुरू कराई है. मंत्रालय ने जांच का जिम्मा दिल्ली की IPSOS Research Pvt Ltd को सौंपा है. IPSOS प्रदेश के सभी 24 जिलों में सर्वे के साथ-साथ निर्माण कार्यों की भी जांच कर रहा है. यह जांच 25 दिसंबर 2021 को शुरू हुआ, जो 31 जनवरी 2022 तक चलेगा. इस दौरान जांच टीम के सदस्य बिना बताए ओडीएफ गांव में अचानक पहुंचकर शौचालय योजना के तहत बने शौचालय की स्थिति, क्वालिटी सहित कई बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे. जांच रिपोर्ट आने के बाद झारखंड में शौचालय निर्माण में हुई अनियमितताएं सामने आ जाएंगी. अबतक झारखंड के कई जिलों और ब्लॉक में शौचालय निर्माण के नाम पर करोड़ों के घोटाले की बात सामने आ चुकी है. जिसके बाद हजारीबाग, चतरा, रांची, गोड्डा, साहेबगंज सहित कई जिलों में पेयजल विभाग के अफसरों पर कार्रवाई हुई है.
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