Dhanbad : जिले में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना के तहत हुयी गड़बड़ी तथा घोटाले में निर्दोष लोगों को फंसाने को लेकर शुक्रवार को स्कूल संचालक और शिक्षक उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर एडीएम से मुलाकात की.
इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने एडीएम को ज्ञापन सौंपा. इसमें शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला में स्कूल संचालकों का हाथ नहीं है. ऐसे में स्कूल संचालक के खिलाफ कार्रवाई करना अनुचित है. ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने मामले में निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अगर निर्दोष स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई तो झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा.
क्या है छात्रवृत्ति की योजना
2008 में केंद्र की यूपीए सरकार ने एक योजना शुरू की थी. इसके तहत ऐसे अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे जो पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें छात्रवृत्ति देकर पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना था. इसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म मानने वाले शामिल थे.
कक्षा एक से पांच तक पढ़ने वाले बच्चे को सालाना एक हजार रुपए और कक्षा छह से दसवीं तक पढ़ाई करने वाले बच्चों को 5700 रुपये दिए जाने का प्रावधान है. अगर बच्चा हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहा है तो उसे 10,700 रुपए मिलेंगे. लेकिन झारखंड में यह राशि जरूरतमंद बच्चों के खाते में जाने के बजाय किसी और के खाते में जा रहे हैं. ज्यादातर गड़बड़ियां सीनियर बच्चों को दी जानी वाली छात्रवृत्ति में की गयी है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रांची के अलिया आराबिया मदरसा के जिन 102 छात्रों का नाम छात्रवृत्ति की लिस्ट में है, वो बच्चे वहां पढ़ाई कर ही नहीं रहे हैं. इन सारे बच्चों का नाम हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वालों में हैं. इस हिसाब में करीब 11 लाख रुपए का घोटाला बैंक और कल्याण विभाग के कर्मियों की ओर से की गयी है. इस तरह के और भी मामले सामने आ रहे हैं.