Soumitra Roy
कोविड-19 की इस दूसरी लहर के बीच निराशा के घोर समय बैंक में जमा पैसा सबसे बड़ी ताकत है. लेकिन, क्या आपको लगता है कि सरकारी बैंकों में रखा आपका पैसा सुरक्षित है? रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत में कोविड मामलों की लगातार बढ़ती संख्या से बैंकिंग सिस्टम को सबसे बड़ा खतरा बताया है.
आपने मुम्बई से भागते लोगों की तस्वीरें देखी होंगी. इन मज़दूरों को नौकरी से निकाला गया है. अकेले महाराष्ट्र नहीं, बल्कि गुजरात और हरियाणा में कंपनियां कामगारों को बाहर कर रही हैं. फिच का कहना है कि मौजूदा दौर के कारण खस्ता हाल बैंक डूबते लोन की वसूली शायद ही कर पाएं.
भारत में कोविड के 80% मामले उन 6 राज्यों में हैं, जहां के लोगों ने कुल बैंक लोन का 45% ले रखा है. दूसरी बड़ी बात एसेट्स क्वालिटी की है. भारत की बैंकों ने अभी तक इसका हिसाब नहीं दिया है. फिच मानता है कि MSME और रिटेल लोन पर सबसे बड़ा खतरा है.
अगर कुछ दिन और ऐसी ही हालत रही तो क्या होगा? आशंका है कि वर्ष 2021, कुछ बड़े बैंकों के लिए लॉकडाउन की नौबत ला सकता है. अगर भारत में कोविड की स्थिति को देखें तो यह अमेरिका से भी भयानक है और अभी 3-4 महीने इससे निपटने में लग सकते हैं.
इससे भी बड़ी चिंता की बात देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का ज़रूरत से ज़्यादा मनमानी करते रहना है. दोनों लगातार मनमानी से ग़लतियां कर रहे हैं. उन्होंने RBI और अन्य वित्तीय संस्थानों को ग़ुलाम बना रखा है और अपनी मर्ज़ी थोप रहे हैं.
यह तो आप समझते ही हैं कि हालात तब सबसे बुरे होते हैं, जब मौत सामने खड़ी हो और जेब खाली मिले. देश की आर्थिक स्थिति अब विकराल रुप लेती जा रही है. पानी सिर से ऊपर होने लगा है. अगर सरकार नहीं संभली तो समझिए सब खत्म.
डिस्क्लेमरः ये लेखक के अपने विचार हैं.