LagatarDesk : केंद्र सरकार ने कल वित्त वर्ष 2020-21 के जीडीपी ग्रोथ रेट का आंकड़ा पेश किया. देश की जीडीपी ग्रोथ रेट इस वित्त वर्ष माइनस 7.3 फीसदी रही. इसी बीच भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रह्मण्यम ने एक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर का भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
ग्रोथ रेट का अनुमान लगाना कठिन
हालांकि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इकोमॉमी ग्रोथ में तेजी लाने के लिए वित्तीय और मौद्रिक सहायता की जरूरत होगी. वी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि देश की इकोनॉमी दोहरे अंक में रहेगी या नहीं इसका अनुमान लगाना कठिन है. उन्होंने कोरोना महामारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह बात कही है.मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि मार्च 2021 तक अर्थव्यवस्था की हालत में अच्छा सुधार हो चुका था. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर का इकोनॉमी ग्रोथ पर बुरा प्रभाव पड़ा.
वित्त वर्ष 21-22 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट में आयेगी गिरावट
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि कोरोना का संक्रमण मई में अपने चरम पर पहुंच गयी थी. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए कई राज्यों में लॉकडाउन लगाया है. इसके कारण मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट का अनुमान लगाया गया है. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया कि 2020-21 केल लिए जनवरी में आर्थिक सर्वेक्षण जारी की गयी थी.जारी आंरकड़ों के अनुसार, मार्च 2022 में समाप्त होने वाले तिमाही में जीडीपी में 11 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया था.
वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट
आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट आयी थी. वहीं चौथी तिमाही में देश की इकोनॉमी में 1.6 फीसदी की तेजी दर्ज की गयी. जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में देश की अर्थव्यवस्था में 4 फीसदी की बढ़त देखी गयी थी. वहीं मार्च 2020 की तिमाही में ग्रोथ रेट 3 फीसदी था. आर्थिक सर्वेक्षण में वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी में 8 फीसदी की कमी आने का अनुमान लगाया गया था. वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी 38.96 लाख करोड़ रुपये की रही. वहीं यह वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में 38.33 करोड़ थी. यह पिछले 4 दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है.