NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह का मामला रद्द कर दिया है. कोर्ट ने 1962 के केदारनाथ बनाम बिहार राज्य केस का हवाला देकर दुआ को दोषमुक्त करते हुए कहा कि केदार नाथ सिंह के फैसले के अनुसार हर पत्रकार की रक्षा की जायेगी. बता दें कि पत्रकार दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में एक भाजपा नेता द्वारा देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया गया था. उनके एक यूट्यूब प्रोग्राम को लेकर FIR दर्ज कराई गयी थी. SC में दायर याचिका में विनोद दुआ के खिलाफ शिमला में दर्ज देशद्रोह के मामले को रद्द करने की गुहार लगायी गयी थी.
केदारनाथ बनाम बिहार राज्य
जान लें कि 1962 में सुप्रीम कोर्ट ने केदारनाथ बनाम बिहार राज्य के वाद में महत्वपूर्ण व्यवस्था दी थी. अदालत ने कहा था कि सरकार की आलोचना या फिर प्रशासन पर कॉमेंट करने से राजद्रोह का मुकदमा नहीं बनता. राजद्रोह का केस तभी बनेगा जब कोई भी वक्तव्य ऐसा हो जिसमें हिंसा फैलाने की मंशा हो या फिर हिंसा बढ़ाने का तत्व मौजूद हो.
खबरों के अनुसार जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत सरन की बेंच ने पिछले साल छह अक्टूबर को विनोद दुआ, हिमाचल प्रदेश सरकार और मामले में शिकायतकर्ता की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 जुलाई को इस मामले में विनोद दुआ को किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से प्रदत्त संरक्षण की अवधि अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दी थी.
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यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर दर्ज हुई थी FIR
कोर्ट ने कहा था कि दुआ को इस मामले के संबंध में हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा पूछे जा रहे किसी भी पूरक सवाल का जवाब देने की जरूरत नहीं है. दुआ के खिलाफ उनके यूट्यूब कार्यक्रम के संबंध में छह मई को शिमला के कुमारसेन थाने में भाजपा नेता श्याम ने FIR दर्ज कराई थी. FIR के अनुसार दुआ ने अपने YouTube कार्यक्रम द विनोद दुआ शो में विवादित बोल बोले थे, जो सांप्रदायिक घृणा को भड़का सकते थे और जिससे शांति और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हो सकता था.
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मोदी पर वोट पाने की खातिर आतंकी हमलों का इस्तेमाल करने काआरोप लगाया था
श्याम ने आरोप लगाया था कि दुआ ने अपने यूट्यूब शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वोट पाने की खातिर मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल करने के आरोप लगाये थे. इससे पहले SC ने पिछले साल 14 जून को अप्रत्याशित सुनवाई करते हुए विनोद दुआ को अगले आदेश तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर दिया था.
हालांकि कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. दुआ ने कोर्ट से उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की अपील की थी. कहा था कि प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार है.