खुद ही खाना भी बनाते हैं गढ़वा जिले के एकमात्र समर्थ आवासीय विद्यालय के बच्चे
Arun Kumar Yadav
Garhwa : मिस्टर एजुकेशन मिनिस्टर देखिए, इस हाड़ कंपाने वाली ठंड में कैसे बच्चे फर्श पर सोकर रात गुजारते हैं. वह भी गढ़वा जिले के एकमात्र समर्थ आवासीय विद्यालय में. स्कूल की स्थापना अच्छी सोच के साथ की गई, ताकि बूढ़ा पहाड़ जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गरीब और असहाय बच्चे यहां रहकर पढ़ाई कर सकें. पढ़ाई के लिए उन्हें हर वह जरूरी सुविधा मिले, जो एक छात्र को मिलनी चाहिए. मगर हकीकत कुछ और ही है. जिले का एकमात्र समर्थ आवासीय विद्यालय, जो रंका अनुमंडल में है. यहां 109 बच्चों का नामांकन है. सभी बच्चे गरीब और असहाय परिवार से आते हैं. इनके परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा सकें. बड़ी उम्मीद से परिवार वालों ने इन बच्चों का नामांकन यहां कराया है, ताकि इन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके. मगर स्कूल में चारों तरफ अव्यवस्था का आलम है. स्कूल में न तो बेड, न शुद्ध पानी की व्यवस्था है और न ही बाथरूम की. खाना भी बच्चों को खुद ही बनाना पड़ता है. ऐसे में आप खुद ही सोच सकते हैं कि बच्चे कैसे पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
109 बच्चों पर मात्र 12 बेड
इस स्कूल में 109 बच्चों का नामांकन है. इनके सोने के लिए स्कूल में मात्र 12 बेड हैं, जो 24 बच्चों के लिए ही काफी है.बाकी बच्चों को फर्श पर सोना पड़ता है. एक कमरे में 8 बच्चे जेल की कैदियों की तरह फर्श पर सोकर रात गुजारते हैं.
शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं, बाथरूम में सीपेज
स्कूल में पीने के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था तक नहीं है. बच्चों को बाहर से चापानल से लाकर पानी पीना पड़ता है. इस पानी की वजह से हाल ही में स्कूल के 28 बच्चे बीमार पड़ गए थे. बाथरूम की दीवार में सीपेज हैं. बाथरूम के बाहर जलजमाव रहता है, जिससे फिसलकर बच्चे अक्सर घायल होते हैं.
क्या कहते हैं स्कूली बच्चे
वहीं स्कूल में पढ़ने वाले बसंत नगेसिया, बिफन नगेसिया, जगरनाथ कोरवा,आशीष कुमार ठाकुर, मनोहर किसान, विजय किसान, अमित किसान, बीरबल किसान ने बताया कि हमलोग क्या कर सकतें हैं. सर से हमेशा कहते हैं कि सर फर्श पर सोने में बहुत ठंड लगती है. हर बार सर बोलते हैं कि बेड मंगवाने के लिए उच्चाधिकारियों को लिखकर दिए हैं. लेकिन अब तक बेड नहीं मिला तो क्या करूं. किसी तरह हमलोग ठंड में रात गुजार रहे हैं.
विद्यालय में बच्चों को देखकर दया तो आती है, मगर कुछ कर नहीं सकते. मैंने प्रखंड से लेकर जिला तक के उच्चाधिकारियों को आवेदन देकर सभी तरह की व्यस्था दुरुस्त करने की मांग की है. जिला शिक्षा पदाधिकारी गढ़वा अनिता पूर्ति मैम भी इस विद्यालय में आकर निरीक्षण करके गई हैं. उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि जल्द समस्या दूर कर दी जाएगी.
शमशाद आलम
प्रधानाध्यापक सह वार्डन, समर्थ विद्यालय रंका