LagatarDesk : शेयर बाजार में इस सप्ताह भारी बिकवाली देखने को मिली. पिछले चार दिनों से शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली. सप्ताह के आखिरी दिन सेंसेक्स 427 अंकों की गिरावट के साथ 59037 के स्तर पर समाप्त हुआ था. जबकि निफ्टी 139 अंक टूटकर 17617 के लेवल पर बंद हुआ था.
इस सप्ताह सेंसेक्स करीब 2500 अंक टूटा
आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह सेंसेक्स में करीब 2500 अंकों की गिरावट दर्ज की गयी. जबकि निफ्टी 700 अंक फिसल गया. मार्केट एक्सपर्ट की मानें तो कमजोर रुपया और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली की वजह से भारतीय बाजारों में गिरावट देखने को मिली. शेयर बाजार में आयी इस गिरावट के कारण निवेशकों को काफी नुकसान सहना पड़ा. निवेशकों की संपत्ति में करीब 8 लाख करोड़ घट गयी. हालांकि इंडिया विक्स में इस दौरान 7.8 फीसदी की बढ़त देखने को मिली.
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विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर से अबतक 1 लाख करोड़ से ज्यादा की बिकवाली की
फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स लगातार बिकवाली कर रहे हैं. विदेशी निवेशकों ने 20 जनवरी तक एफआईआई 12,415.14 करोड़ के शुद्ध विक्रेता बने रहे. जबकि 21 जनवरी 2022 को 4,500 करोड़ से अधिक की बिकवाली की. अक्टूबर से अब तक फॉरेन इनवेस्टर्स ने 1 लाख करोड़ से ज्यादा की बिकवाली की है. FII में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भी शामिल हैं. मालूम हो कि विदेशी निवेशक महंगे बाजारों से अपने पैसे निकाल रहे हैं और जापान व यूरोप जैसे आकर्षक वैल्यू वाले बाजारों की तरफ रुख कर रहे हैं.
डॉलर की तुलना में रुपया हुआ कमजोर
पिछले एक पखवाड़े यानी 15 दिनों में भारतीय रुपया में कमजोरी आयी है. रुपया का वैल्यू 74 रुपये से गिरकर 74.50 के स्तर पर आ गया है. विदेशी निवेशकों द्वारा बाजार से पैसे निकाला इसका एक मुख्य कारण है.
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ग्लोबल मार्केट में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी
आपको बता दें कि अमेरिकी बाजारों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर दिख रहा है. गुरुवार को लगातार पांचवें दिन इसमें बिकवाली देखने को मिली थी. यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद से ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में उछाल देखने को मिल रहा है. बॉन्ड यील्ड में आयी तेजी के कारण निवेशक रिस्क लेने से बच रहे हैं. साथ ही अपने पोर्टफोलियो में कम रिस्क वाले असेट्स को शामिल कर रहे हैं.
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कंपनियों के खराब परफॉर्मेंस का उनकी प्रॉफिटेबिलिटी पर असर
दिसंबर में समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनियों का परफॉर्मेंस काफी खराब रहा. अर्निंग से अभी तक उनके ऑपरेटिंग मार्जिन पर भारी दबाव के संकेत मिले हैं. इसका असर उनकी प्रॉफिटेबिलिटी पर पड़ रहा है.
कोरोना महामारी के कारण भारती की वित्तीय स्थिति खराब
कोरोना महामारी के कारण भारत की वित्तीय स्थिति खराब हो रही है. जिसकी वजह से आरबीआई धीरे-धीरे लिक्विडिटी के नॉर्मलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है. कॉल मनी रेट 4.55 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गया. जो पिछले महीने 3.25-3.50 फीसदी के स्तर पर था. साथ ही ट्राई पार्टी रेपो डीलिंग और सेटलमेंट भी 4.24 के स्तर पर पहुंच गया, जो दिसंबर के अंत तक लगभग 3.5 फीसदी था. आपको बता दें कि कॉल मनी रेट वह रेट है जिस पर बैंक ओवरनाइट कर्ज लेते हैं.
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