Seraikela : अपने हक व अधिकार के लिए अंतिम सर्वे सेटेलमेंट के आधार पर हमें स्थानीय नीति लागू करने के लिए लड़ाई लड़नी होगी. उक्त बातें राष्ट्रीय सूंडी समाज के प्रदेश कोषाध्यक्ष रविंद्र मंडल ने एक प्रेस बयान में कहा. प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के गठन का दो दशक से अधिक समय हो गया, लेकिन अब तक झारखंड के आदिवासी मूलवासी लोगों के हित में कोई स्थानीय नीति नहीं बनाई गई है.
प्रथम मुख्यमंत्री के स्थानीय नीति बनाने पर साजिश के तहत सरकार गिरा दी गई
झारखंड में सबसे अधिक समय तक भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में सरकार रही. राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने जब 1932 के खतियान को आधार मानकर स्थानीय नीति बनाने की बात कही, तो एक साजिश के तहत उनकी सरकार गिरा दी गई. उस वक्त एक आदिवासी अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया, जो सबसे अधिक समय तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में वे केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री हैं. बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के आदिवासी मूल वासियों की भावना को समझा, लेकिन उसके बाद भाजपा की अगुवाई में जो भी सरकार बनी उनके द्वारा स्थानीय नीति पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया.
आने वाले दिनों में झारखंड के लोगों को होना पड़ सकता है विस्थापित
मंडल ने कहा कि देर आए दुरुस्त आए झारखंडियों की नींद टूटी और उन्हें अपने हक व अधिकार की चिंता सताने लगी है. उन्होंने कहा कि हम सारे झारखंडियों को एकजुट होकर 1932 या अंतिम सर्वे सेटेलमेंट को आधार मानकर स्थानीय नीति लागू करने के लिए लड़ाई लड़नी होगी वरना आने वाले दिनों में झारखंड के लोगों को विस्थापित होना पड़ सकता है.
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