Seraikela (Bhagyasagar Singh) : सरायकेला का सदर अस्पताल डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों के अभाव में ‘ऊंची दुकान फीकी पकवान’ कहावत को चरितार्थ कर रहा है. यहां मात्र 14 डॉक्टरों के बदौलत सात विभाग संचालित किए जा रहे हैं. इसी प्रकार बिना ड्रेसर के जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में इमरजेंसी, लेबर रूम और इंडोर व आउटडोर स्वास्थ्य सेवाएं संचालित की जा रही हैं. इतना ही नहीं सदर अस्पताल में सुरक्षा को लेकर दिन हो या रात के लिए एक भी सिक्योरिटी गार्ड नहीं है.
इसे भी पढ़े : सरायकेला : जिला परिषद उपाध्यक्ष ने विभाग के कार्यपालक अभियंता को सौंपा ज्ञापन
जिले के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में चिकित्सकों का है अभाव
इस सदर अस्पताल में सात विभाग इमरजेंसी, इंडोर, लेबर रूम, शिशु के लिए एसएनसीयू, ओपीडी, कुपोषित बच्चों के लिए एमटीसी और बच्चों के लिए पीआईसीयू संचालित हैं. यहां सभी विभागों को देखते हुए डॉक्टरों के कुल 26 पद स्वीकृत हैं, लेकिन मात्र 14 डॉक्टर ही सदर अस्पताल में पदस्थापित हैं. वहीं, अस्पताल में सभी विभागों के अनुसार 24 जीएनएम नर्सों की आवश्यकता है, जिसके एवज में मात्र आठ जीएनएम नर्स ही पदस्थापित हैं. साथ ही जिले के विभिन्न सीएचसी सेंटर से प्रतिनियुक्ति के आधार पर 13 एएनएम से सदर अस्पताल का संचालन किया जा रहा है. विदित हो कि इस अस्पताल के लिए एक भी एएनएम या जीएनएम की बहाली ही नहीं हुई है, इन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से प्रतिनियुक्ति करा कर काम चलाया जा रहा है.
इसे भी पढ़े : चाईबासा : ट्रांसफार्मर चोरी होने पर ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन
ड्रेसिंग करने के लिए इमरजेंसी विभाग भी एएनएम के भरोसे
सदर अस्पताल में प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं और अन्य दुर्घटनाओं के मामले आते रहते हैं. लेकिन फिर भी यहां एक ड्रेसर भी नहीं है. इमरजेंसी विभाग और लेबर रूम जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी एएनएम द्वारा ड्रेसिंग करने के भरोसे चलाया जा रहा है. ऐसे में इमरजेंसी में अचानक से ज्यादा दुर्घटना वाले मामले आ जाने पर स्टाफ की कमी के कारण मैनेज करना अस्पताल वालों के लिए मुश्किल हो जाता है. स्टाफ की कमी के कारण सदर अस्पताल में संचालित युवा मैत्री केंद्र जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी तत्काल बाधित है.
इसे भी पढ़े : आदित्यपुर : डीएसओ ने बंद पीडीएस दुकानों को किया शोकॉज
एक या दो स्टाफ के भरोसे तीन शिफ्ट चलाना अस्पताल प्रबंधन के लिए बना मुश्किल
वहीं, इंडोर में औसतन 40 से 50 मरीज भर्ती रहते हैं, जिन्हें एक-एक एएनएम के सहारे तीन शिफ्ट में संचालित किया जा रहा है. जबकि प्रत्येक शिफ्ट में कम से कम दो-दो एएनएम की आवश्यकता होती है. लेबर रूम में पेशेंट की संख्या अधिक होने के कारण एक या दो स्टाफ के भरोसे तीन शिफ्ट चलाना अस्पताल प्रबंधन के लिए मुश्किल बना हुआ है. जबकी प्रत्येक शिफ्ट में तीन से चार स्टाफ की आवश्यकता होती है.
इसे भी पढ़े : सरायकेला : अब विद्युत उपभोक्ता इस नंबर 9955653235 पर दर्ज करा सकते हैं शिकायत
सदर अस्पताल ने भी लिया पूर्व की तरह अनुमंडल अस्पताल का दर्जा
सरायकेला में पूर्व में संचालित अनुमंडल अस्पताल के बाद सदर अस्पताल का निर्माण जिला मुख्यालय को देखते हुए कराया गया था. वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा सदर अस्पताल सरायकेला का उद्घाटन किया गया था. तब से लेकर आज तक सदर अस्पताल सरायकेला में संसाधनों का उत्तरोत्तर विकास होता रहा है. लेकिन चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी के अभाव में सदर अस्पताल ने भी पूर्व की तरह अनुमंडल अस्पताल का दर्जा लिया हुआ है.
इसे भी पढ़े : चांडिल : स्वरोजगार से जुड़कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेगी किशोरी व महिलाएं
क्या कहते हैं अस्पताल प्रबंधक
अस्पताल प्रबंधक संजीत राय ने कहा कि संचालित विभागों के अनुसार यहां चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों का घोर अभाव है. सीमित संसाधन विभाग से ही सभी विभागों का संचालन किया जा रहा है. लेकिन लेबर रूम सहित इंडोर और इमरजेंसी वार्ड में पेशेंट की संख्या बढ़ने पर परेशानी का सामना करना पड़ता है.
इसे भी पढ़े : आदित्यपुर : 50 किलो पॉलीथीन जब्त, 7000 रुपए जुर्माना वसूला