Bermo: झारखंड राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष मोर्चा सेविका और सहिया के मानदेय को लेकर गंभीर है. इस मामले पर मोर्चा के गोमिया प्रखंड अध्यक्ष अनीता देवी एवं सचिव गंदौरी राम ने कहा कि सेविका और सहायिका को 5 माह से मानदेय नहीं मिला है. उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है. उन्हें मानदेय सहित अन्य सुविधा नहीं मिल रही है. सेविकाओं को केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त मद से मानदेय मिलता है. लेकिन नवंबर माह से उन्हें मानदेय नहीं मिला है.
उन्होंने कहा कि समेकित बाल विकास परियोजना अंतर्गत गोमिया में लगभग तीन सौ आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका और सहायिका हैं. उन्हें 5 माह से मानदेय नहीं मिला है. होली जैसे त्यौहार में भी मानदेय का भुगतान नहीं होना सरकार का उदासीन रवैया दर्शाता है. बता दें कि आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को पोषाहार दिया जाता है. केंद्र की सेविका पोषाहार खरीदकर बच्चों को देती है. पोषाहार खरीदने के बाद बिल वाउचर जमा करने पर विभाग पैसा सेविका के खाते में भेज देती है. इधर सितंबर 2021 से अब तक खर्च किए गए बालबाड़ी की राशि सेविकाओं को नहीं मिली है.
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कोरोना काल में सेविकाओं ने किया था काम
बताया जाता है कि सेविकाओं ने कोरोना काल में अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना काम करती रहीं. कोरोना महामारी जब चरम पर था तब वे सरकार के आदेश के अनुसार डोर टू डोर सर्वे का काम कर रही थीं. स्वास्थ्य संबंधी रोग के संबंध में उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं है. इसके बावजूद भी कोरोना योद्धा की तरह लड़ीं. जबकि सरकार आंगनबाड़ी सेविका को कोरोना वॉरियर्स भी नहीं मानती है. इस दौरान दुर्भाग्य से उन्हें कुछ हो गया होता तो सरकार की ओर से उसका बीमा भी नहीं है कि उसके आश्रितों को कुछ राहत मिलता.
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