Mumbai : सर्जिकल स्ट्राइक के छोटे पटाखे फोड़कर पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) हमारे कब्जे में नहीं आयेगा. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में यह लिख कर पार्टी ने भाजपा नेताओं सहित केंद्र सरकार पर हल्ला बोला है. शिवसेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुद्दे पर केंद्र सरकार और पीएम मोदी को घेरते हुए संपादकीय लिखा है. हालांकि आरोप है कि अपने इस प्रयास में शिवसेना ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक(Surgical Strike) करने वाले जवानों का भी अपमान कर दिया.
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हम पाक जेल में बंद कुलभूषण जाधव को छुड़वा नहीं पाये हैं
सामना ने लिखा है कि सर्जिकल स्ट्राइक के छोटे पटाखे फोड़कर पाक अधिकृत कश्मीर हमारे कब्जे में नहीं आयेगा. हम अभी तक पाक जेल में बंद कुलभूषण जाधव को छुड़वा नहीं पाये हैं. दूसरी ओर जब तब उठकर दाऊद-दाऊद करना लेकिन उस दाऊद को हम अभी तक अपने कब्जे में नहीं ले सके हैं. ऐसे में पाक अधिकृत कश्मीर को लेने का संकल्प कैसे पूरा होगा?
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पाक अधिकृत कश्मीर को आजाद करने का संकल्प मोदी सरकार ने लिया है
सामना में लिखा गया है कि पाक अधिकृत कश्मीर को आजाद करने का संकल्प मोदी सरकार ने लिया है. जिस तरह कश्मीर से धारा-370 हटाई गयी, उसी तरह पाक के कब्जे वाले कश्मीर के भू-भाग को वापस लाने का संकल्प प्रधानमंत्री मोदी का है. लेकिन अब सवाल यह है कि पाक के कब्जेवाले कश्मीर को छुड़ाने के लिए मोदी सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे. वे पहला कदम कब उठायेगे? मोदी सरकार इस बारे में कोई प्लान घोषित करे तो अच्छा होगा.
पाक अधिकृत कश्मीर को कब्जे में लेने से पहले सरकार को हिंदुस्थानी कश्मीर की कई बातों का स्थायी हल निकालना होगा. हमारे कश्मीर में आज भी अशांति और तनाव है. धारा-370 हटाई ठीक है लेकिन उसके बाद एक भी नया उद्योग कश्मीर में नहीं आया, निवेश नहीं हुआ और रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हुए. इस वजह से कश्मीर के युवाओं में असंतोष है.
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फिल्म से कश्मीरी पंडितों का भला नहीं होगा
सामना के अनुसार हजारों कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का संकल्प मोदी ने 7 वर्ष पहले लिया था वो अधूरा है. हमारे पंडितों को अपने ही कश्मीर में स्थायी नहीं बसाया जा सका तो पाक अधिकृत कश्मीर का नया प्रश्न कैसे हल करेंगे? उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म का प्रचार करके वहां के असली मुद्दों का निदान नहीं किया जा सकता. कश्मीरी पंडितों के लिए बनाई गयी पुनर्वास व घरकुल योजना भी मोदी सरकार ने पूरी नहीं की है.
सात वर्ष में केवल 17 प्रतिशत कश्मीरी पंडितों को घर मिले, जो कि बेहद चौंकाने वाली बात है. पाक आतंकवादियों ने पंडितों की बलि ली लेकिन निर्वासित, बेघर, बेरोजगार पंडितों के लिए राजनीतिक आंसू बहाने वालों ने क्या किया? पंडितों के खून और आंसुओं का राजनीतिक सौदा ही किया. आज भी निर्वासित हजारों पंडित शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं और दिल्ली में भाजपा की सरकार आयी फिर भी उनके जीवन में कोई असर नहीं पड़ा है.
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