NewDelhi : अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की हत्या के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की यहां रोहिणी के एक अस्पताल में गुरुवार को लगभग दो घंटे तक नार्को जांच हुई. अधिकारियों ने बताया कि पूनावाला की नार्को जांच पूरी तरह सफल रही और उसका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक है. विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि नार्को जांच की प्रक्रिया पूरी हो गयी है.
Narco test is conducted when all parameters are met, all parameters were met. If needed, a post-narco test is done. Investigation & process of narco is underway, we’ll submit the report soon. Case has been taken up on priority: Asst Dir, Forensic Science Lab, Rohini,Sanjeev Gupta pic.twitter.com/AW2L2RSHiI
— ANI (@ANI) December 1, 2022
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नार्को जांच सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई
अधिकारियों ने बताया कि पूनावाला को सुबह आठ बजकर 40 मिनट पर रोहिणी के डॉ बाबा साहेब अंबेडकर हॉस्पिटल लाया गया और नार्को जांच सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई. जांच के बाद उसे चिकित्सीय निगरानी में रखा गया. पूनावाला को शुक्रवार को यहां फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) ले जाये जाने की संभावना है. एफएसएल के सूत्रों के अनुसार उसके पॉलीग्राफी तथा नार्कों जांच के दौरान दिये गये जवाबों का विश्लेषण किया जायेगा और पूनावाला को उसके द्वारा दिये गये जवाबों के बारे में बताया जायेगा.
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फॉर्म पर हस्ताक्षर लेने के बाद नार्को जांच की गयी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नार्को जांच से पहले पूनावाला की रक्तचाप, नाड़ी की गति, शरीर का तापमान और दिल की धड़कन की जांच समेत अन्य सामान्य जांच की गयी. बताया कि प्रक्रिया के तहत, पूनावाला और उसकी जांच कर रही नार्को टीम की पूरी जानकारी के साथ एक सहमति फॉर्म उसके समक्ष पढ़ा गया. फॉर्म पर उसके हस्ताक्षर करने के बाद नार्को जांच की गयी. जान लें कि नार्को जांच में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम एमिटल जैसी दवा दी जाती है जो व्यक्ति को एनेस्थीसिया के विभिन्न चरणों तक लेकर जाती है.
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सम्मोहन (हिप्नोटिक) चरण में व्यक्ति पूरी तरह होश हवास में नहीं रहता
सम्मोहन (हिप्नोटिक) चरण में व्यक्ति पूरी तरह होश हवास में नहीं रहता और उसके ऐसी जानकारियां उगलने की अधिक संभावना रहती है जो वह आमतौर पर होश में रहते हुए नहीं बताता है. जांच एजेंसियां इस जांच का इस्तेमाल तब करती हैं जब अन्य सबूतों से मामले की साफ तस्वीर नहीं मिल पाती है. दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने पूनावाला की नार्को जांच की मांग की है क्योंकि पूछताछ के दौरान उसके जवाब भ्रामक रहे.
बयान अदालत में प्रारंभिक सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि नार्को जांच, ब्रेन मैपिंग और पॉलिग्राफी जांच संबंधित व्यक्ति से मंजूरी लिये बिना नहीं की जा सकती हो. साथ ही इस जांच के दौरान दिये गये बयान अदालत में प्रारंभिक सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं. केवल कुछ परिस्थितियों में ही ये स्वीकार्य हैं जब पीठ को मामले के तथ्य और प्रकृति इसके अनुरूप लगे.
पूनावाला (28 पर अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े करने का आरोप है. आरोप है कि उसने शव के टुकड़ों को दक्षिण दिल्ली में महरौली के अपने घर में करीब तीन सप्ताह तक 300 लीटर के एक फ्रिज में रखा और फिर कई रातों तक उसे शहर के विभिन्न स्थानों पर जाकर फेंकता रहा. उसे 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था.