Header Image
lagatar.in
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • रामगढ़
      • हजारीबाग
      • गिरिडीह
      • चतरा
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
      • गोड्डा
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार
Friday, May 23, 2025
lagatar.in
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • रामगढ़
      • हजारीबाग
      • गिरिडीह
      • चतरा
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
      • गोड्डा
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार
lagatar.in
No Result
View All Result
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार
Header Ad

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेष : मिलिये झारखंड के पर्यावरण हीरोज से – 1

info@lagatar.in by info@lagatar.in
June 4, 2021
in झारखंड न्यूज़, रांची न्यूज़
Share on FacebookShare on Twitter

मिलिये पेड़ों को बचाने के लिए तीर-धनुष लेकर माफियाओं से भिड़नेवाली सिंहभूम की लेडी टार्जन से

7 महिलाओं के साथ शुरु हुए वृक्ष संरक्षण अभियान से जुड़ चुकी हैं 10000 महिलाएं

2019 में जमुना टुडू को मिला पद्मश्री सम्मान, फिलिप्स ब्रेवरी और शक्ति अवॉर्ड से भी सम्मानित

Satya Sharan Mishra
Ranchi : किसी बड़े मिशन को शुरू करने के लिए सिर्फ पैसे और संसाधन की जरूरत नहीं होती. बहुत पढ़ा-लिखा होना भी जरूरी नहीं. जनहित में ईमानदारी और निष्ठा से किया गया एक छोटा प्रयास भी आपको सफल बना सकता है. प्रसिद्धि की बुलंदी तक पहुंचा सकता है. इस बात को साबित किया है पश्चिम सिंहभूम जिले की जमुना टुडू ने. लेडी टार्जन नाम से मशहूर जमुना टुडू ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में ऐसा काम किया कि दिल्ली तक उनका डंका बजा. चाकुलिया ब्लॉक के मुतुरखाम गांव के गरीब परिवार की इस महिला को 2019 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. जमुना टुडू ने 1998 से पेड़ों को बचाने की मुहिम शुरू की. धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और मुहिम में लोग जुड़ते गये. 2004 में जमुना ने वन रक्षक समिति बनाई. जिसमें गांव की 60 महिलाएं जुड़ी. 17 साल के अंदर जंगलों को बचाने के लिए हजारों लोग वन सुरक्षा समिति में जुड़े. जमुना के नेतृत्व में 400 से ज्यादा समितियां जंगलों को बचाने में लगी हैं. जिसमें 10000 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं. विश्व पर्यावरण दिवस पर lagatar.in ने जमुना टुडू से खास बातचीत की. वनों को बचाने की मुहिम की शुरुआत और उनके संघर्ष की कहानी पढ़िये उनकी जुबानी.

जमुना टुडू की कुछ तस्वीरें

पेड़ों को बचाने का ख्याल आपके दिल में कैसे आया?

जमुना – 1998 में मेरी शादी चाकुलिया ब्लॉक के मुतुरखाम गांव में हुई. शादी के बाद जब मैं ससुराल आयी तो एक हफ्ते बाद गांव की महिलाएं मुझे जंगल घुमाने ले गयीं. जंगल को देखकर मैं दुखी हो गई. क्योंकि वह जंगल उजड़ा हुआ था. पेड़ों की बेतहाशा कटाई की गई थी. महिलाओं ने बताया कि जलावन के लिए लोग लकड़ियां काट लेते हैं. उस वक्त गैस चूल्हे की सुविधा गांव में नहीं होती थी. हमलोग जंगल से ही लकड़ियां लाकर उन्हें जलावन के तौर पर उपयोग करते थे और खाना बनाते थे. मैंने ओडिशा (रायरंगपुर) में अपने मायके में पिता के साथ मिलकर कई पेड़ लगाये थे. यहां का उजड़ा जंगल देखकर मैंने ठान लिया कि इसे भी हरा-भरा बनाऊंगी. बस तब से यह मुहिम शुरू कर दी.

पर्यावरण संरक्षण की मुहिम की शुरुआत कब और कैसे हुई?

जमुना – शादी के बाद मैं भी गांव की महिलाओं के साथ जंगल जाती थी. जंगल से सूखी लकड़ियां इकट्ठा कर हमलोग घर के पास स्थित एक इमली के पेड़ के नीचे बैठते थे. यहां मैं अक्सर महिलाओं से बोलती थी की पेड़ों से ही हमारी जिंदगी है. यह हमें शुद्ध हवा देते हैं. फल-फूल और औषधि देते हैं. इन्हें बचाने के लिए हम सबको सामने आना होगा. महिलाएं कहती थीं कि यह इतना आसान नहीं है. आखिरकार समझाते-समझाते साल भर बाद 6 महिलाएं वन संरक्षण के लिए काम करने को तैयार हुईं. फिर 2004 में हमारी मुहिम का दायरा बढ़ने लगा और हम अपने ब्लॉक से निकलकर दूसरे प्रखंड़ों में जाकर लोगों को जागरूक करने लगे. गांव के प्रधानों से मिलकर उन्हें पेड़ों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपनी मुहिम में जोड़ते चले गये.

क्या पेड़ों को बचाने के लिए आपको संघर्ष भी करना पड़ा?

जमुना- काफी संघर्ष करना पड़ा. शुरुआत में हम 7 महिलाओं ने पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जंगल में जाना शुरू किया. वहां पेड़ काटने वालों को रोकते और उन्हें पेड़ों के फायदे बताते. कई लोग उलझ जाते थे. कई बार वन माफियाओं से भी टकराव हुआ. उनलोगों ने धमकियां दीं. कई बार मारपीट भी हुई, लेकिन हम पीछे नहीं हटे. तीर-धनुष और लाठी-डंडे लेकर हम उनसे लोहा लेते रहे. लगातार चल रही हमारी मुहिम से एक अच्छी बात हुई. जो लोग खुलेआम जंगलों से पेड़ों को काटकर ले जाते थे, उन्होंने खुलेआम पेड़ की कटाई बंद कर दी. फिर छिप-छिपा कर पेड़ काटकर लोग ले जाने लगे. इसके बाद हमलोगों ने और कड़ाई की. तब पूरी तरह से पेड़ कटने बंद हो गये.

गांव की महिलाओं को मनाने में इतना समय कैसे लगा?

जमुना – मेरी ससुराल के पास करीब 60 एकड़ जमीन पर जंगल हैं. वहां आम, साल, जामुन, महुआ और चार के पौधे हैं. मेरी शादी होने के पहले यहां माफियाओं ने भारी मात्रा में पेड़ काट लिये थे. पेड़ों के कटने के बाद जो डालियां बची थीं, उसे गांव के लोग अपने घरों में ले आये थे. पेड़ काटने वाले तो भाग गये, लेकिन मेरे ससुर समेत गांव के कई लोगों को पुलिस गिरफ्तार करके ले गयी और 6 महीने तक जेल में रखा. इससे गांव की महिलाएं डरी हुई थीं. उन्होंने कहा कि जंगल के चक्कर में जो भी पड़ा, उसे जेल जाना पड़ा है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए आपको कौन-कौन से सम्मान मिले हैं?

जमुना – 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों मुझे पद्मश्री सम्मान मिला है. इसके अलावा जंगल बचाने की मुहिम को देखते हुए 2013 में फिलिप्स ब्रेवरी अवॉर्ड दिया गया. इसके बाद 2014 में स्त्री शक्ति अवॉर्ड मिला. 2016 में देश की प्रथम 100 महिलाओं में शामिल किया गया.

फिलहाल पेड़ों के संरक्षण के लिए आप कौन सा अभियान चला रही हैं?

जमुना- वन सुरक्षा समिति के तहत ही हमलोग पेड़ों के संरक्षण का काम कर रहे हैं. एक समिति से हमारा सफर शुरू हुआ था. आज 400 से ज्यादा समितियां बन गयी हैं. कोल्हान के सैकड़ों गांवों में हमारी समिति है और इनमें 20 से 100 तक मेंबर हैं. वन सुरक्षा समिति जंगलों और पेड़ों को बचाने का काम कर रही है. हमारे पास आर्थिक संसाधन नहीं है. समिति को सरकार की ओर से मदद मिलनी चाहिए.

क्या आपके बच्चों और परिवार का सपोर्ट आपको मिलता है?

जमुना – मेरे बच्चे नहीं हैं. पेड़- पौधे ही मेरे बच्चों के समान हैं. हर साल रक्षाबंधन पर मैं पेड़ों को राखी बांधती हूं. मेरे पति मान सिंह टुडू पहले राजमिस्त्री का काम करते थे, लेकिन फिलहाल उन्होंने काम छोड़ दिया है. वो मेरी मुहिम में मेरे साथ हैं. मेरा हौसला बढ़ाते हैं.

[wpse_comments_template]

Share76Tweet47Send
Previous Post

ओलंपिक क्वालीफाई वाले खिलाड़ियों को बिंद्रा ने दी बधाई, कहा – महामारी के बीच ये बड़ी उपलब्धि

Next Post

TVNL : तीन अफसरों को वित्तीय लाभ देने का आदेश दो दिन में ही रद्द करने का क्या है राज!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

  • सुबह की न्यूज डायरी।। 23 MAY।। शराब घोटालाः IAS विनय चौबे की तबियत बिगड़ी, रिम्स में भर्ती समेत कई खबरें…  May 23, 2025
  • पलामू : कुख्यात अपराधी अनु विश्वकर्मा ने कोर्ट में किया सरेंडर May 22, 2025
  • रामगढ़ः सतकौड़ी तालाब का होगा सौंदर्यीकरण, 2 लाख होंगे खर्च May 22, 2025
  • रामगढ़ः कनॉट प्लेस दिल्ली की तर्ज पर बनेगा गोला मार्केटिंग काम्प्लेक्स May 22, 2025
  • रांची : 2.14 लाख सर्वजन पेंशनधारियों के खाते में पहुंचे एक-एक हजार रुपए May 22, 2025

© 2025 Lagatar Media Pvt. Ltd.

Social icon element need JNews Essential plugin to be activated.
Footer Ad 1 Footer Ad 2
No Result
View All Result
हमारे whatsapp चैनल को फॉलो करें हमारे whatsapp चैनल को फॉलो करें
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • न्यूज़ डायरी
    • सुबह की न्यूज़ डायरी
    • शाम की न्यूज़ डायरी
  • झारखंड न्यूज़
    • दक्षिण छोटानागपुर
      • रांची न्यूज़
      • खूंटी
      • गुमला
      • सिमडेगा
      • लोहरदग्गा
    • कोल्हान प्रमंडल
      • जमशेदपुर
      • चाईबासा
      • सरायकेला
    • उत्तरी छोटानागपुर
      • रामगढ़
      • हजारीबाग
      • गिरिडीह
      • चतरा
      • कोडरमा
    • कोयला क्षेत्र
      • धनबाद
      • बोकारो
    • पलामू प्रमंडल
      • पलामू
      • गढ़वा
      • लातेहार
    • संथाल परगना
      • दुमका
      • देवघर
      • जामताड़ा
      • साहिबगंज
      • पाकुड़
      • गोड्डा
  • देश-विदेश
  • बिहार
  • ऑफबीट
  • ओपिनियन
  • खेल
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • व्यापार

© 2025 Lagatar Media Pvt. Ltd.