Ranchi : अब पुरूष निभाएंगे जिम्मेदारी, परिवार नियोजन अपनाकर दिखाएंगे अपनी भागीदारी, इसी थीम के साथ सोमवार को राज्य स्तरीय पुरूष नसबंदी अभियान की शुरुआत हुई. कार्यक्रम का आयोजन सदर अस्पताल में किया गया. मुख्य अतिथि निदेशक प्रमुख डॉ कृष्ण कुमार ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. मौके पर रांची सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शशि भूषण खलखो, डॉ अनिल खेतान, डॉ विमलेश सिंह, डॉ एस प्रसाद, फैमिली प्लानिंग कोषांग की राज्य समन्वयक गूंजन खलखो, एस विजयलक्ष्मी सहित स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारी और कर्मी मौजूद थे.
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पुरूष भी नसबंदी के लिए आ रहे आगे
निदेशक प्रमुख डॉ कृष्ण कुमार ने कहा कि परिवार नियोजन के विभिन्न साधनों में से एक साधन है पुरुष नसबंदी (एनएसवी). अभी तक इस साधन के प्रति पुरुष रुचि नहीं दिखाते थे और इसे अपने पौरुष से जोड़कर देखते थे, लेकिन अब परिवार नियोजन में वह भी अपनी भूमिका महत्वपूर्ण मानते हुए नसबंदी कराने के लिए आगे आ रहे हैं.
नसबंदी कराने से नहीं होती है कमजोरी
रांची सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने कहा कि पुरुष नसबंदी को लेकर लोगों में भ्रांतिया हैं. पुरुषों में कमजोरी आ जाती है और नपुंसक हो जाते हैं. ऐसा कुछ भी नहीं है. यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है. अब पुरुष, एनसवी को लेकर जागरूक हो रहे हैं. लेकिन अभी हमें और प्रयास करने की जरूरत है. राज्य समन्वयक गूंजन खलखो ने कहा कि बिना-चीरा, बिना टांका वाली नई पुरुष नसबंदी एनएसवी के लाभ जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा पुरुष नसबंदी माह का आगाज हुआ. 21 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलने वाले इस पखवाड़े का उद्देश्य परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाना है.
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एनएसवी चैंपियन सूरज ने पुरूषों को किया जागरूक
रांची का सूरज एक ऐसा नाम है जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए नसबंदी कराई है. उनके एक बच्चे हैं. हाल ही में पुरूष नसबंदी करा कर मिसाल कायम किया है. सूरज ने बताया कि नसबंदी से किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती और एक दिन के बाद सामान्य काम कर सकते हैं.
लाभुक को 3000 और प्रेरक को 400 रुपए
एनएसवी (नो स्कैल्पल वसेक्टमी) को आम जुबान में नसबंदी की बिना चीरा, बिना टांका पद्धति कहा जाता है. नयी पद्धति के चलते अब पुरुष झटपट नसबंदी कराके एक घंटे में घर जा सकते है और अपेक्षाकृत जल्दी अपने काम पर लौट सकते हैं. पुरुष नसबंदी करवाने पर क्षतिपूर्ति राशि स्वरुप 3000 रूपए जबकि महिला नसबंदी पर 2000 रूपए सरकार द्वारा दिए जाते हैं. प्रेरक को पुरुष नसबंदी के लिए 400 रुपए और महिला बंध्याकरण के लिए 300 रुपए प्रोत्साहन राशि दिया जाता है. लाभुक यदि स्वयं प्रोत्साहित हो कर नसबंदी हेतु आया है तो प्रोत्साहन राशि भी उसे ही दिए जाने का प्रावधान है.
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