ग्रामीणों की संरक्षित करने की मांग
Bismay Alankar
Hazaribagh: झारखंड में भी कई ऐसे स्थल हैं, जहां पौराणिक काल के निशान मिलने की बात कही जाती है. इसमें हजारीबाग के कटकमसांडी प्रखंड के नावाडीह पंचायत का भी नाम आता है. इसका संबंध महाभारत काल से जोड़ा जाता है. बताया जाता है कि नावाडीह पंचायत के गांव चंपाडीह में महाभारत काल में हुए अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा इस तरफ आया था. इसके पदचिन्ह आज भी यहां के पत्थरों पर देखे जा सकते हैं.
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युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा गुजरा था
लोगों का कहना है कि इस इलाके में तब राजा हंस ध्वज का शासन था. यह इलाका उनके शासन के अंतर्गत था. इसी रास्ते से युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा गुजरा था. पौराणिक किताबों में इस बात का जिक्र है कि इसी अश्वमेध यज्ञ के घोड़े के लिए राजा हंस ध्वज और अर्जुन के बीच युद्ध भी हुआ था. अर्जुन ने हंस ध्वज के 2 पुत्रों को युद्ध में मार दिया था. बाद में कृष्ण ने बीच-बचाव कर इस युद्ध को रोका था.
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पत्थरों पर घोड़े के खुर के निशान
हालांकि महाभारत में जिस चंपानगर का जिक्र है उसे बिहार के भागलपुर जिले का बताया जाता है. इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि यहां भी एक पुराने किले के भग्नावशेष हैं. पास में ही काफी पुराना चंपेश्वरी मंदिर भी है, जो अति प्राचीन कालीन माना जाता है. इसी स्थल से थोड़ी ही दूरी पर पत्थरों पर घोड़े के खुर के निशान हैं. इसे घोड्टप्पा कहा जाता है. इसी घोड़े के टापों के निशान के कारण इस इलाके का नाम भी घोड्टप्पा है.
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होता है अवैध उत्खनन
ऐसे पौराणिक मान्यताओं वाले जगह पर भी अब संकट के बादल छाने लगे हैं. यह पूरा इलाका हजारीबाग वन्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है. लेकिन इस इलाके में जबरदस्त तरीके से अवैध उत्खनन का कार्य होता है. पत्थर माफिया अब इस इलाके में भी खनन करना चाहते हैं. स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अभी कुछ दिन पहले पत्थर माफिया यहां खनन नहीं कर पाए. नहीं तो यह पूरा ऐतिहासिक स्थल अवैध खनन माफियाओं के भेंट चढ़ जाता. गांव के लोग इस इलाके को संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं, ताकि इस पौराणिक महत्त्व वाले स्थान को संरक्षित किया जा सके.