Rama Shankar Singh
टायटैनिक की उस भाषा में मैं नहीं पूछ सकूंगा,
Is there anybody alive ?
मैं पूछता हूं उस निर्वाचित नेता से जो गरीब जनता के पैसे से बन रहे सैंकड़ों करोड़ के नये आवास में साल 2020 में प्रवेश करेगा – Are u still alive ?
मैं पूछूंगा, उस सर्वोच्च सत्ताधीश से जो अपने देश के लाखों लोगों के नरसंहार के बीच यह हसरत ज़िंदा रखे हुए है कि उसे नये संसद भवन के कार्यालय में 2020 में बैठना है.
Are you not dead already !
नीचे की कथा आप जानते हैं जो मैं उधार मांग कर परोस रहा हूं
Is there anybody alive!!!
ऑस्कर समेत कुल 114 अवार्ड्स जीत चुकी टाइटैनिक फिल्म हॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में शुमार मानी जाती है! दुनिया की लगभग हर भाषा में अनुवादित यह फिल्म सिर्फ इसलिए हिट नहीं हुई कि कि इसमें दिखाई गयी प्रेम कहानी जबरदस्त है! हिट इसलिए हुई क्योंकि इसमें मानवीय संवेदना के पहलुओं- संवेदनशीलता व संवेदनहीनता- दोनों को बड़े ही अच्छे तरीके से दर्शाया गया है!
जहाज पूरी तरह डूब चुका था! डूबने से पहले जहाज में सवार सभी लोगों को लाइफ जैकेट्स पहना दी गयी थीं! लेकिन पानी इतना ठंडा था कि अधिकांश लोग हाइपोथर्मिया के शिकार हो गए.
फिफ्थ ऑफिसर हेरोल्ड अपने साथियों को नाव में लेकर बचाव अभियान पर निकलता है. इस आशा के साथ कि कोई जीवित हो तो उसे बचा लिया जाये.
लाइफ जैकेट पहने होने की वजह से अधिकांश लाशें ऊपर ही तैर रही हैं. हेरोल्ड की नाव लाशों से टकरा रही है. वो साथियों पर झुंझला रहा है. कह रहा है. हर तरफ देखो. आवाज दो. शायद कोई जिन्दा बच गया हो!
फिर बुझे मन से खुद ही बुदबुदाता है. हमने बहुत देर कर दी.
हेरोल्ड की आंखों में आंसू भर आते हैं! वह असहाय होकर लाशों में तब्दील हो चुके उन अनगिनत लोगों को देख रहा है, जो कुछ वक्त पहले तक एक विशालकाय जहाज पर मौज मस्ती कर रहे थे.
वह अपने अंदर की पीड़ा को बाहर निकालता है! आंसुओं को रोक, रुंधे हुए गले से जोर से चीखता है. Is there anybody alive??
काफी देर तक पुकारने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं आता है तो हेरोल्ड और उसके साथी वापस जाने लगते हैं. कि तभी दूर कहीं एक सीटी की आवाज सुनाई देती है! उनकी आंखे चमक उठती हैं.
बिहार-यूपी की सीमा पर देश की पूजनीय व मोक्षदायिनी गंगा नदी में कल से दर्जनों लाशें तैर रही हैं. सिलसिला जारी है.
सिर्फ नहीं है तो फिफ्थ ऑफिसर हेरोल्ड! जो पूछ सके.
Is there anybody alive!!!!
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.