New Delhi : सीबीएसई 12वीं की परीक्षा को लेकर अब विद्यार्थी भी मुखर हो रहे हैं. 297 विद्यार्थियों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. इसमें विद्यार्थियों ने चीफ जस्टिस से कहा है कि वे स्वतः इस मामले में संज्ञान लें और पिछले वर्ष की तरह वैकल्पिक मूल्यांकन योजना बनाने का निर्देश जारी करें. छात्रों का कहना है कि देश में कोविड-19 के चलते पैदा हुई परिस्थितियों के चलते तमाम छात्रों ने अपने परिवार वालों को खोया है. ऐसे में इस समय में फिजिकली परीक्षा कराना न सिर्फ लाखों छात्रों और टीचर्स की सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि उनके परिवारों के लिए भी यह परेशानी का सबब है.
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बैठक में नहीं हो सका था फैसला
सीबीएसई, आईसीएसई और विभिन्न राज्य शिक्षा बोर्डों की 12वीं कक्षा की परीक्षा पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्री समूह व राज्यों की बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका. अधिकतर राज्यों ने कहा कि 12वीं की परीक्षा आयोजित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के थमने और स्थिति में सुधार के बाद ही सितंबर तक परीक्षाएं हों. दिल्ली और महाराष्ट्र ने न सिर्फ परीक्षा रद्द करने की सिफारिश की, बल्कि दिल्ली ने यहां तक कह दिया कि परीक्षा देने वाले देश के 1.4 करोड़ बच्चों और टीचर्स-स्टाफ के वैक्सीनेशन के बाद ही परीक्षा ली जानी चाहिए.
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मनीष सिसोदिया ने दिये सुझाव
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि बिना वैक्सीनेशन के 12वीं के स्टूडेंट्स को एग्जाम के लिए न बुलाया जाए. वहीं CBSE 12वीं के 297 स्टूडेंट्स ने भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमना को चिट्ठी लिखकर मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एग्जाम रद्द करने की मांग की है. सिसोदिया ने पत्र में कहा कि छात्रों को बिना वैक्सीनेशन के परीक्षा के लिए न बुलाया जाय.उन्होंने कहा कि कोवैक्सिन या कोवीशील्ड 17 से अधिक आयु वर्ग के बच्चों को दी जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार एक्सपर्ट्स से राय लें. इसके लिए केंद्र को फाइजर कंपनी से भी बात करनी चाहिए.